बोकारो:जब सरकार और सरकारी योजनाएं लोगों के लिए काम नहीं आतीं तो उसका बीड़ा किसी ना किसी को तो उठाना ही पड़ता है. कुछ ऐसा ही काम कर रहे हैं बोकारो के दो युवक. ये दोनों युवक इन दिनों सरकारी स्कूल के बच्चों को अंग्रेजी पढ़ा रहे हैं. दोनों पेशे से इंजीनियर हैं. उनकी कोशिश है कि गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे भी फर्राटेदार इंग्लिश बोले. पिछले तीन महीनों से दोनों इंजीनियर शहर के सेक्टर 2 ए स्थित राजकीयकृत उच्च विद्यालय लकड़ा खंदा में छात्र-छात्राओं को अंग्रेजी पढ़ा रहे हैं.
बोकारो में दो युवक ला रहे बदलाव, सरकारी स्कूल के बच्चों को करा रहे इंग्लिश की पढ़ाई - jharkhand news
अब सरकारी स्कूलों के बच्चे भी निजी स्कूलों के बच्चों की तरह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलेंगे. राजकीय उच्च विद्यालय लकड़ा खंदा में पिछले तीन महीने से बोकारो निवासी दो इंजीनियर वहां पढ़ने वाले छात्रों को अंग्रेजी पढ़ा रहे हैं. Two Engineers teaching English to children in Bokaro
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Published : Oct 5, 2023, 8:15 PM IST
|Updated : Oct 5, 2023, 9:08 PM IST
कौन हैं ये दोनों युवक:दरअसल, दोनों युवक बोकारो के ही रहने वाले हैं. दोनों अभी वर्क फ्रॉम होम से अपनी कंपनी को सेवा दे रहे हैं. अपने कंपनी के काम से समय निकाल कर हफ्ते में दो दिन ये दोनों युवक स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं. बच्चों को पढ़ाने आने वाले दोनों युवकों का नाम चंदन कुमार और प्रशांत कुमार है. चंदन कुमार कंसल्टेंसी कंपनी पीडब्लूसी में कार्यरत हैं, वहीं प्रशांत कुमार आईबीएम में कार्यरत हैं.
छात्र-छात्राएं काफी खुश:दोनों युवकों को स्कूल में पढ़ाना आसान नहीं रहा. उन्होंने पहले लोगों से बात की. उसके बाद उन्होंने छात्र-छात्राओं के मन से झिझक खत्म की. फिर धीरे-धीरे उनसे पढ़ने के लिए बच्चे तैयार हुए. स्कूल में पड़ने वाले छात्र-छात्राएं भी उनके पढ़ाने से खुश हैं. छात्राओं का कहना है कि पहले हम लोगों को अंग्रेजी का उतना ज्ञान नहीं था. लेकिन जब से ये लोग यहां आए हैं, तब से उनमें अंग्रेजी को लेकर काफी जिज्ञासा बढ़ी है. अब वह अंग्रेजी को बोल और समझ भी पा रही हैं.
वहीं बच्चों को पढ़ाने आने वाले दोनों युवकों का कहना है कि सरकारी स्कूल के छात्रों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, बस उन्हें सही दिशा देने की जरूरत है. इन गरीब छात्रों को सरकारी स्कूल में निजी विद्यालय की तरह सुविधाएं नहीं मिल पाती. हमारा प्रयास है कि सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले गरीब बच्चे भी पूरी तरह से अंग्रेजी में दक्षता के साथ अपनी प्रतिभा को लोगों के सामने प्रस्तुत करें. ताकि आने वाले समय में वह अपना और अपने घर वालों का नाम रोशन कर सके.