बोकारो: बैंकों के निजीकरण के खिलाफ दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल होना है. इसे सफल बनाने को लेकर सेक्टर चार स्थित बैंक ऑफ इंडिया के समक्ष नेशनल फोरम ऑफ बैंक यूनियन के बैनर तले सभी बैंक के अधिकारी और कर्मचारियों ने बैठक कर रणनीति बनाई.
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बैंकों के निजीकरण होने से आम लोगों को होगी परेशानी
इस मौके पर सभी बैंक कर्मियों ने केंद्र सरकार के विरोध जमकर नारेबाजी की. इस दौरान नौ बैंक यूनियनों के पदाधिकारी और कर्मचारी भी मौजूद रहे. मौके पर यूनियन के नेताओं ने कहा कि जिस प्रकार से वित्त मंत्री ने पहले बजट में दो बैंकों के निजीकरण की बात कही थी और शाम होते होते चार बैंकों का नाम ले लिया जाता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि निजीकरण होने से आम लोगों पर इसका खास असर पड़ने वाला है. आज सरकारी बैंकों की ओर से आम लोगों के जमा पूंजी को सुरक्षित रखने का काम किया जाता है, लेकिन बैंकों के निजीकरण होने से आम लोगों के पूंजी की कोई गारंटी नहीं होगी.
सरकारी बैंक से मिलती है कई फायदे
यूनियन के नेताओं ने कहा कि वर्तमान में सरकारी बैंकों की ओर से राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार सभी की योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए काफी प्रयास किया जाता है, लेकिन अगर निजी बैंकों के औसत को देखा जाए तो इसमें काफी कम नजर आता है. उन्होंने कहा कि आज जिस प्रकार से सरकारी बैंक छात्रों को पढ़ने के लिए एजुकेशन लोन देने का काम कर रही है या फिर अन्य किसी तरह की सहायता प्रदान करती है. अगर निजीकरण हो जाता है तो इससे छात्रों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. नेताओं ने कहा कि दो दिवसीय हड़ताल सफल होगा और पूरी तरह से बैंकों में ताले लटके रहेंगे.