डॉ लंबोदर महतो, विधायक, गोमिया बोकारो:जिले के गोमिया विधानसभा क्षेत्र में 20 जरूरतमंद दिव्यांगों को उनके दैनिक कार्यो में मदद पहुंचाने के उद्देश्य से फ्री में स्कूटी प्रदान किया जाना है. गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी और गोमिया विधायक डॉ लंबोदर महतो की पहल पर ओएनजीसी के सीएसआर मद के तहत स्कूटी का वितरण करने की पूरी तैयारी हो चुकी है. इसके लिए सभी अहर्ताएं भी पूरी कर ली गई हैं. स्कूटी वितरण के लिए सांसद और विधायक का समय भी ले लिया गया, लेकिन संबंधित अधिकारियों की उदासीनता के कारण दिव्यांगों की स्कूटी धूल फांक रही है.
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जानकारी के अनुसार, लगभग एक वर्ष पहले स्कूटी की खरीदारी कर ली गई है, लेकिन विडंबना देखिए कि दिव्यांगों को फ्री में दिया जाने वाला स्कूटी साड़म के एक कार्यालय में धूल फांक रहा है, या ये कहें कि गोमिया विधानसभा क्षेत्र के 20 जरूरतमंद दिव्यांग लगभग एक वर्ष से आज तक स्कूटी मिलने की बाट जोह रहे हैं. दिव्यांगों को फ्री में दिए जाने वाली स्कूटी में धूल की मोटी परत तक जम गई है. कभी-कभार तो यह स्कूटी बाजार-हाट में भी दिखाई पड़ जाती है, जिसपर दिव्यांग की जगह कोई और सक्षम व्यक्ति सवारी करता नजर आता है. वहीं अधिकारियों की उदासीनता के कारण एक दिव्यांग जितेंद्र ठाकुर की मृत्यु पिछले महीने हो गई. फिर भी संबंधित अधिकारी स्कूटी वितरण मामले में उदासीन हैं.
स्कूटी की हो चुकी है खरीदारी:इस संबंध में गोमिया विधायक डॉ लंबोदर महतो ने कहा कि गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी और मेरे द्वारा किए गए अनुशंसा पर ही ओएनजीसी के अधिकारी ने तत्काल क्षेत्र के 20 जरूरतमंद दिव्यांगों को फ्री में स्कूटी देने पर सहमति जताई थी. उसी के तहत ओएनजीसी के सीएसआर मद से स्कूटी की खरीदारी भी कर ली गई है. छह बार क्षेत्र के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी से स्कूटी वितरण के लिए समय लेने के बावजूद ओएनजीसी के अधिकारी स्कूटी वितरण में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.
विधायक अधिकारियों की उदासीनता से नाराज: विधायक ने कहा कि असहाय गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से संबंध रखने वाले दिव्यांग नागरिकों को निशुल्क स्कूटी प्रदान करना है, ताकि उन्हें कहीं भी आने-जाने के लिए अन्य नागरिकों पर आश्रित ना रहना पड़े और वह खुद कहीं भी आने-जाने के लिए स्वतंत्र रूप से आत्मनिर्भर हो सके, क्योंकि अधिकतर देखा गया है कि दिव्यांगों को कहीं भी आने-जाने के लिए अन्य नागरिकों पर ही आश्रित रहना पड़ता है. उनकी पीड़ा को समझते हुए उन्होंने ओएनजीसी के अधिकारियों से वार्ता कर दिव्यांगों को फ्री में स्कूटी उपलब्ध कराने की बात कही थी, लेकिन संबंधित अधिकारियों की उदासीनता के वजह से दिव्यांगों को फ्री में स्कूटी नहीं मिल पा रहा है.