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दफ्तर में नरमुंड, सार्वजनिक कार्यालय में रखा नरकंकाल, ऑफिस में लोगों को लगता है डर

बोकारो जिला के सीसीएल कथारा प्रक्षेत्र के क्षेत्रीय असैनिक विभाग के क्षेत्रीय असैनिक पदाधिकारी कार्यालय के टेबुल पर नरमुंड रखा है. पदाधिकारी रंजन कुमार प्रधान इसे निजी आस्था मानते हैं, पर दफ्तर आने वालों को इससे डर जरूर लगता है. कई बार शिकायत के बाद भी अब तक इस अंधविश्वास के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.

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दफ्तर में नरमुंड

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Published : Sep 13, 2020, 6:03 AM IST

बोकारोः जिला के सीसीएल कथारा प्रक्षेत्र के क्षेत्रीय असैनिक विभाग इन दिनों में चर्चा में है. यहां का क्षेत्रीय असैनिक पदाधिकारी कार्यालय के टेबुल पर नरमुंड और मानव कंकाल रखा है. क्षेत्रीय असैनिक पदाधिकारी रंजन कुमार प्रधान ने इसे निजी मामला बताया. दफ्तर में नरमुंड को लेकर उनकी दलील है कि वो इस विषय में किताब लिख रहा हूं और कॉन कैमरा कुछ भी बताने से इनकार कर दिया.

दफ्तर में नरमुंड, देखिए स्पेशल रिपोर्ट

दफ्तर जाने से डर लगता है

क्षेत्रीय असैनिक पदाधिकारी (एरीया सिविल इंजिनियर) रंजन कुमार प्रधान पिछले लगभग 2 वर्षों से इस क्षेत्र में जमे हुए हैं. वह अपने कार्यालय में नर कंकाल, चूड़ी, सिंदूर, इंसानी खोपड़ी, हाथ का हड्डी अपने कार्यालय मे रखते हैं. किसी से सीधे बात नहीं करते. आम लोग उनके दफ्तर जाने से डरते हैं. इस वजह से ऑफिस का माहौल भी ठीक नहीं है.

शिकायत के बाद नहीं हुई कार्रवाई

इतना ही नहीं इस मामले की जानकारी श्रमिक नेता बैरिस्टर सिंह ने सीसीएल मुख्यालय के आलाधिकारियों को भी दिया गया था. लेकिन इस मामले में आलाधिकारियों की ओर से कोई भी कार्यवाही अभी तक नहीं की गई है. मामले में सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह से भी ऑन कैमरा बात करना चाहा तो उनका ट्रांसफर बीसीसीएल हो जाने का हवाला देकर कुछ नहीं बोले. वहीं प्रक्षेत्र (एरिया) के महाप्रबंधक से एमके पंजाबी भी नए सीएमडी के ज्वाइन करने किए हैं इसका हवाला देकर ऑन कैमरा कुछ नहीं बोले. हालांकि इतना जरूर कहा कि आपके बताने के बाद उनको वहां से आपत्तिजनक सामान हटाने को कह दिया गया और वहां से सब हटा दिया गया है.

चुप क्यों हैं आलाधिकारी

अब सवाल यह उठता है कि कोई सरकारी पदाधिकारी अपने सार्वजनिक कार्यालय में नरमुंड, मानव कंकाल रख कर अपनी निजी आस्था का प्रर्दशन सार्वजनिक रूप से कैसे कर सकता है और करना कहां तक जायज है और किनके आदेश से यह कार्य किया जा रहा है और सीसीएल मुख्यालय के आलाधिकारी को जानकारी के बाद आखिर उच्च पदाधिकारी इस संदर्भ में चुप क्यों हैं ?

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क्या कहते हैं डॉक्टर-मनोचिकित्सक

मामले में डॉक्टर भी खुलकर अधिकारी की मानसिकता को लेकर ऑन कैमरा तो कुछ नहीं कहा. लेकिन बातचीत के क्रम में इतना जरूर कहा कि सार्वजनिक प्रतिष्ठान में इस प्रकार से नरमुंड रखना कहीं से भी जायज नहीं, ऐसे में कोई दूसरा व्यक्ति डर सकता है या अन्य कई प्रकार के व्यक्ति वहां आएंगे जिनको यह आहत कर सकती है. निजी आस्था का हर कोई सम्मान करता है लेकिन अपनी आस्था का इस तरह से प्रदर्शन करना सही नहीं है.

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