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Jal Satyagraha in Bokaro: ठिठुरन भरी ठंड में कूलिंग पौंड में खड़े होकर आंदोलन कर रहे विस्थापित, कहा- नहीं मानेंगे झूठे आश्वासन - Bokaro News

बोकारो में विस्थापितों ने एक बार फिर जल सत्याग्रह शुरू किया है. अपनी मांगों को लकर विस्थापित ठिठुरन भरी ठंड में कूलिंग पौंड में खड़े हैं. उन्होंने कहा है कि अब वह झूठे आश्वासन को नहीं मानेंगे.

Jal Satyagraha in Bokaro
कूलिंग पौंड में आंदोलन करते विस्थापित

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Published : Feb 4, 2023, 5:10 PM IST

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बोकारो:जिला में स्टील प्लांट के विस्थापित एक बार फिर आंदोलन करने को विवश हैं. अपनी जमीन देकर बोकार स्टील प्लांट को स्थापित करने वाले विस्थापित पुनर्वास के लिए जमीन की मांग कर रहे हैं. अपनी मांगों को लेकर स्थापितों ने सेक्टर 9 स्थित कूलिंग पौंड में अनिश्चितकालीन जल सत्याग्रह शुरू किया है.

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यह आंदोलन विस्थापितों को पुनर्वास करने के लिए जमीन देने में डीपीएलआर कार्यालय के द्वारा की जा रही अनदेखी और मनमानी के खिलाफ है. जल सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे विस्थापित विक्रम महतो ने बताया कि डीपीएलआर विभाग की ओर से 2020 में जैनामोड़ मौजा में 33 लोगों को अतिक्रमणकारी घोषित किया गया था. साथ ही उन लोगों के लिए पत्र निकाला गया, लेकिन 2 साल बीत जाने के बाद भी आज तक उन पर कार्रवाई नहीं की गई.

कई बार किया आंदोलन, सिर्फ मिला आश्वासन:विस्थापितों के अनुसार वे अपनी 10 डिसमिल जमीन के लिए उपायुक्त समेत तमाम जिम्मेदार अधिकारियों के पास सैकड़ों बार गए, लेकिन उनकी फरियाद नहीं सुनी गई. कई बार उन्होंने आत्मदाह करने का प्रयास किया और धरना दिया, फिर भी कोई नतीजा नहीं निकला. जिसके बाद उन्होंने दिसंबर माह में कुलिंग पौंड में अनिश्चितकालीन जल सत्याग्रह की शुरुआत की, तब डीपीएलआर और सीओ के द्वारा वार्ता का आश्वासन दिया गया. एक माह बीत जाने के बाद भी अब तक किसी तरह की कोई पहल नहीं हुई, तो उन्होंने फिर से जल सत्याग्रह की शुरुआत की.

झूठे आश्वासन नहीं मानेंगे विस्थापित: विस्थापितों ने कहा कि हम चाहते हैं कि हमें रहने के लिए जमीन दिया जाए और अतिक्रमण करने वालों 33 लोगों पर कार्रवाई हो, ताकि विस्थापितों को न्याय मिल सके. अब विस्थापित झूठे आश्वासन को नहीं मानेंगे और इसी तरह ठंड में जल सत्याग्रह जारी रहेगा. मालूम हो कि दिसंबर 2022 में भी विस्थापितों ने जल सत्याग्रह किया था. इसकी जानकारी मिलने के बाद जिला प्रशासन ने विस्थापितों की समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया था. प्रशासन के आश्वासन के बाद विस्थापितों ने अपना जल सत्याग्रह बंद कर दिया था. अब पुनः इन विस्थापितों को दूसरी बार जल सत्याग्रह करना पड़ रहा है.

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