बोकारोः चंदनकियारी प्रखंड के लगभग देढ़ दर्जन मजदूर रोजी-रोटी के तलाश में बेंगलुरु जाने पर बुरी तरह फंस गये हैं. वहां स्थानीय प्रशासन से किसी प्रकार के सुविधा और सहयोग नहीं मिलने से वेलोग घर वापसी के लिए चंदनकियारी विधायक समेत झारखंड सरकार से गुहार लगाई है.
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झारखंड के नाम पर उपेक्षा
प्राप्त जानकारी के चंदनकियारी प्रखंड के पंद्रह समेत बोकारो जिले के 35 मजदूर अपनी रोजी रोटी के जुगाड़ में कर्नाटक के बेंगलुरु में यहां से सात माह पहले रोजगार करने गए. जहां उन्हें सीसीएएल नाम के कंपनी में काम मिला, परंतु लॉकडाउन में फंस गए. लॉकडाउन एक और दो तक उनका ध्यर्य ठीक था लेकिन लॉकडाउन तीन की घोषणा होने के साथ ही उनका आर्थिक स्थिति खत्म होने के साथ-साथ ध्यर्य भी कम होने लगा हैं. वे अपने स्तर से वापस आने के लिए भरपूर कोशिश कर चुके हैं. लेकिन उनका तमाम कोशिशें फीके पड़ने लगी हैं. यहां के मजदूरों ने बताया कि उनके ही रूम के बगल में उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूर थे जिन्हें कर्नाटक सरकार ने वापस भेज दिया. जबकि झारखंड के नाम सुनने पर उपेक्षित निगाह से देख रहे हैं, साथ ही अब खाने-पीने के लिए पैसे भी खत्म हो चुका है. मजदूरों ने बताया कि उनलोगों ने ऑनलाइन पास बनने के लिए आवेदन दिए हैं लेकिन वहां के संबंधित पदाधिकारी की ओर से कोई सार्थक पहल नहीं किया जा रहा है जिससे वे लोग परेशान हैं. मजदूरों ने चंदनकियारी विधायक समेत झारखंड सरकार से अपने गांव वापसी के लिए गुहार लगाई है. मजदूरों में अजय बाउरी, शक्ति बाउरी, शंभू बाउरी मानपुर, मनोज बाउरी, संजय बाउरी, उत्तम बाउरी चंदनकियारी, धीरेन बाउरी मानपुर, स्वपन बाउरी मोहाल, गोलटू धीवर चास समेत अन्य शामिल हैं. इस संबंध में चंदनकियारी विधायक सह सूबे के पूर्व मंत्री अमर कुमार बाउरी ने बताया कि मामला संज्ञान में आया हैं. इस संबंध में उपायुक्त बोकारो से बातकर सभी मजदूरों को सकुशल वापस लाया जाएगा.