बोकारोः झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन से उनके चाहने वालों में शोक की लहर है. झारखंड, बोकारो समेत उनके विधानसभा क्षेत्र डुमरी में मातम छाया है. उनके नायक और जन नेता अब उनके बीच नहीं रहे. लेकिन जगरनाथ महतो से वो टाइगर कैसे बने, जानिए इस रिपोर्ट में.
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जगरनाथ महतो, जिन्हें लोगों ने उन्हें टाइगर की उपाधि से नवाजा. जगरनाथ महतो जमीनी नेता थे और जनहित के लिए जन आंदोलन में लगातार शिरकत करते रहे. उन्होंने रेलवे बंद करो, स्थानीय नीति, वीआरएल में मजदूर यूनियन, झारखंड राज्य अलग करने के आंदोलन, पारा शिक्षकों आंगनवाड़ी सेविकाओं के लिए आंदोलन में भी शामिल जगरनाथ महतो ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था.
रेलवे वेंडर्स के समर्थन में आंदोलन के दौरान ट्रेन में मूंगफली बेचने के मामले में 27 अक्टूबर 2015 को रेलवे में कांड संख्या आरएटू/982/15 धारा 144, 145, 146, 147 में दर्ज किया गया था. इसके बाद धनबाद रेल कोर्ट से उनकी रिहाई हुई. रेलवे ने एक आदेश जारी कर गोमो-बरकाकाना रेल खंड पर वेंडर्स को ट्रेन में फेरी लगाने पर रोक लगा दी थी. जगरनाथ महतो ने इसका पुरजोर विरोध किया और वेंडर्स के साथ आंदोलन में उनके साथ खड़े रहे.
14 मई 2016 को स्थानीय नीति 1932 की मांग को लेकर झारखंड बंद के आह्वान की पूर्व संध्या पर नावाडीह में मशाल जुलूस निकाला गया था. इसमें नावाडीह के तत्कालीन दारोगा की मौत के मामले में जगरनाथ महतो आरोपी बनाये गये थे लेकिन बाद में वो बरी हो गये थे. बीआरएल रिफैक्ट्रीज लिमिटेड, भंडारीदह में 90 के दशक में मजदूर यूनियन की शुरुआत के दौरान इन पर तत्कालीन प्रबंधन की शिकायत पर सीसीए जैसी गैर जमानतीय धारा भी लगायी गयी थी. इसके कारण जगरनाथ महतो को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा था. अलग झारखंड राज्य के आंदोलन में भी एक दर्जन से अधिक मुकदमे जगरनाथ पर दर्ज हुए. झारखंड अलग राज्य के लिए आर्थिक नाकेबंदी आंदोलन में शामिल रहे.
जन आंदोलन में जगरनाथ महतो की भागीदारी हमेशा से रही. सीसीएल तारमी, कल्याणी, बीआरएल भंडारीदह के मजदूरों के शोषण और विस्थापितों के खिलाफ कई बार धारदार आंदोलन किया. पारा शिक्षकों व आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं के मामले को लेकर झारखंड विधानसभा के समक्ष धरना पर बैठे. जगरनाथ महतो के संघर्षशील और गरीबों की आवाज उठाने के लिए लोगों ने उन्हें प्यार से टाइगर की उपाधि दी. इसके बाद से वो लोगों के लिए टाइगर ही कहलाते हैं.