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17 सालों से बन रहा बराज अब भी अधूरा, 2016 में CM रघुवर दास ने दोबारा किया था शिलान्यास

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Published : Sep 7, 2019, 2:29 PM IST

बोकारो के गवई नदी पर पिछले 17 साल से बराज का निर्माण किया जा रहा है लेकिन आज तक यह काम पूरा नहीं हो सका है. गवई बराज जीर्णोद्धार परियोजना अगर पूरा हो जाता तो इससे क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर नहीं रहना होता.

गवई नदी पर बराज निर्माण

बोकारो: सरकारी योजना भ्रष्टाचार और काम में इच्छाशक्ति की कमी की वजह से किस तरह दम तोड़ती है इसका सबसे बड़ उदाहरण है बोकारो के गवई नदी पर बन रहा बराज. 80 के दशक में संयुक्त बिहार में बना यह बराज ध्वस्त हो चुका था जिसके बाद 2002 में इसके जीर्णोद्धार के लिए योजना बनाई गई. योजना का शिलान्यास भी कर दिया गया लेकिन 17 साल बीतने को है और आज तक यह काम पूरी नहीं हो सका.

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किसानों को नहीं मिला मुआवजा
इस योजना की शुरूआत की गई थी ताकि बोकारो और उसके आसपास के इलाकों के किसानों को खेती के लिए बारिश का मुंह नहीं ताकना पड़े. सिंचाई के लिए पानी की पूरी व्यवस्था हो सके. इस भरोसे के साथ किसानों से उनकी जमीन भी ले ली गई लेकिन योजना क्या ही पूरी होती आज तक किसानों को उनके जमीन का मुआवजा तक नहीं दिया गया है.


मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया था उद्घाटन
योजना जब 14 साल बीत जाने के बाद भी पूरी नहीं हुई तो 18 सितंबर 2016 को मुख्यमंत्री रघुवर दास ने योजना का एक बार फिर शिलान्यास किया. वर्ष 2016 में रघुवर सरकार ने जब शिलान्यास किया तो कई महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने का निर्णय लिया गया जिसमें12 फाटक, क्षतिग्रस्त एफलेक्स बांध, तटबंधों के निर्माण के साथ नहरों का तल सफाई आदि शामिल है. 2002 में इस योजना के लिए 135 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी, जिसे बढ़ाकर 148 करोड़ कर दिया गया ताकि काम में दोबारा गतिरोध न आए. लेकिन आज भी लोगों को सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है कि योजना जल्द पूरी हो जाएगी.

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गवई बराज जीर्णोद्धार परियोजना के क्या हैं फायदे
गवई बराज योजना का काम अगर पूरा है जाता तो यहां के इलाके की कृषि में क्रांति आ जाती. खेती के लिए किसानों को वर्षा के इंतजार में नहीं रहना होता. अगर यह परियोजना शुरू हो जाती है तो 54 गांव के 46336 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो पाती. ऐसे में यहां कृषि कार्य की दिशा व दशा बदलने के साथ ही बेरोजगारी व पलायन पर भी लगाम लग जाता. इसके साथ ही अगर परियोजना पूर्ण रूपेन बन जाती तो इस इलाके का विकास पर्यटन केंद्र के रूप में भी हो जाता.


क्या कह रहे हैं किसान
स्थानीय किसानों का कहना है कि वोट बैंक के चक्कर, सरकारी उदासीनता और विभागीय लापरवाही के कारण योजना आज तक पूरी नहीं हो पाई है. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा हमें ही भुगतना पड़ रहा है. पिछले कुछ सालों से बारिश हो नहीं रही है ऐसे में किसानी हो नहीं पा रही है. लेकिन इसकी सुध लेने का किसी के पास समय ही नहीं है.

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क्या कह रहा है जिला प्रशाासन
गवई बराज योजना के बारे में जिला प्रशासन का दावा है कि 2020 तक काम पूरा करा लिया जाएगा. वही विलंब के लिए अधिकारी का कहना है कि बांध वाली भूमि पर बिजली विभाग ने पुल बना दिया जिस कारण देरी हुई. वहीं बोकारो के नवनियुक्त डीसी मुकेश कुमार का कहना है कि जल संसाधन विभाग से मामले की बाबत जानकारी मांगी गई है, उनका पक्ष लिया जा रहा है. इसके साथ ही एक टीम जिला स्तर पर जाकर जांच करेगी और वह टीम के साथ खुद जाकर निरीक्षण करेंगे. उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि योजना को जल्द से जल्द पूरी कराया जा सके.

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