बोकारोः बीएसएल का सीएसआर विभाग विस्थापित महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए आगे आया है, बोकारो स्टील के सीएसआर विभाग ने दुमका के लहानती इंस्टिट्यूट मल्टीपल स्किल के साथ एमओयू किया है. जिसके तहत बोकारो विस्थापित क्षेत्र की महिलाओं को प्रशिक्षण देकर हैंडीक्राफ्ट बनाने की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके लिए सेक्टर 2D में स्किल सेंटर का भी निर्माण कराया है. जहां दुमका सहित अन्य जगहों से बनाए गए हैंडीक्राफ्ट के सामान रखे गए हैं. लहानती इंस्टिट्यूट मल्टीपल स्किल के निदेशक डॉक्टर अजीथसेन सेल्वादास ने बताया कि महिलाओं को स्वरोजगार देने के लिए बोकारो स्टील का एक बेहतर प्रयास है. हमारी संस्था महिलाओं को प्रशिक्षण देकर जलकुंभी और बांस से बने हस्तशिल्प के सामान को बाजार देने का काम करेगी. प्रशिक्षण देने के बाद महिलाएं स्वरोजगार करेंगी और उन्हें बेहतर मौका भी मिलेगा.
गरीबों के अनाज पर डाकाःसरकार गरीबों के लिए अनाज उपलब्ध करा रही है, लेकिन गरीबों के अनाज पर पीडीएस दुकानदार डाका डाल रहे हैं. इस बात का खुलासा तब हुआ है जब सैकड़ों की संख्या में बोकारो जारीडीह प्रखंड के भस्की पंचायत पीडीएस कार्ड धारी उपायुक्त कार्यालय पहुंचे. पीडीएस कार्ड धारियों ने बताया कि महिला समूह चलाने वाली आशा देवी ने अक्टूबर महीने में अनाज देने के नाम पर दो बार अंगूठा लगवा कर पर्ची निकाल ली और गरीब कल्याण योजना का अनाज दिया. जबकि दूसरी योजना का अनाज नहीं दिया. जब इसकी शिकायत प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी से की गई तो उन्होंने जांच दल भी भेजा जांच में मामला सही भी पाया गया, लेकिन पीडीएस दुकानदार ने अनाज देने से इनकार कर दिया. जिला आपूर्ति पदाधिकारी कुमारी गीतांजलि ने बताया कि सभी लाभुकों ने इसकी शिकायत प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी से की थी. मामले की जांच भी हुई है, जब वहां से कुछ सकारात्मक पहल नहीं हुई तो सभी लोग आज जिला आए हैं, मामले की जांच का आदेश दिया गया है, क्योंकि मामला गंभीर है. दोषी पाए जाने पर पीडीएस डीलर पर कार्रवाई की जाएगी.
100 करोड़ की योजना 11 महीने से बंदः बोकारो स्टील के लगभग 100 करोड़ की पेयजल आपूर्ति की योजना विस्थापितों के विरोध के कारण 11 महीने से बंद है. विस्थापितों ने नियोजन की मांग को लेकर कार्य को बंद कर रखा है. बोकारो स्टील के अधिकारी और जिला प्रशासन के अधिकारी पुलिस बल के साथ आज पचोरा स्थित निर्माण कार्य स्थल पर काम को शुरू कराने पहुंचे तो विस्थापितों ने इसका विरोध शुरू कर दिया. विस्थापितों के विरोध को देखते हुए काम को शुरू नहीं कराया जा सका. वहीं विस्थापितों का कहना है कि बोकारो स्टील के द्वारा उनके घरों का पेमेंट भुगतान किया गया है. लेकिन उपजाऊ जमीन का बोकारो स्टील ने अधिग्रहण नहीं किया है और ना ही इसका मुआवजा ही दिया है. ऐसे में जब तक नए नियम के तहत जमीन का अधिग्रहण करते हुए 18 से 45 वर्ष के लोगों को नियोजन नहीं दिया जाता है तब तक हम इस कार्य का विरोध करते रहेंगे और इस योजना को बाधित करके रखेंगे. विस्थापितों का कहना है कि इस मामले को लेकर वे न्यायालय गए हैं. बोकारो स्टील प्रबंधन और जिला प्रशासन के अधिकारी भी कोर्ट में हाजिर हुए हैं. जब तक को कोर्ट का कोई निर्णय नहीं आ जाएगा तब तब हम काम नहीं करने देंगे.
दो महीने का इनक्रीमेंट रोका था, 18 साल का जुर्माना भरने का आदेशः ट्रेड यूनियन एक्टिविटी को कारण बताकर कर्मी का दो माह का एंक्रिमेंट रोकने के मामले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी दिव्या मिश्रा की अदालत ने बोकारो स्टील प्लांट प्रबंधन के साथ-साथ सेवानिवृत्त पूर्व ईडी पी एंड ए सितांशु प्रसाद, जीएम पी एंड ए बसंत ठाकुर, जीएम शिवदत्त झा और सुरेंद्र सिंह पर जुर्माना लगाया है. अदालत ने प्रबंधन को एक लाख रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया है. इसके अलावा वर्ष 1994 के तीन मार्च से रिटायरमेंट तक (18 वर्ष नौ माह 12 दिन) प्रतिदिन दो सौ रुपये के हिसाब से जुर्माना भरने का आदेश दिया है. अधिकारियों को दस-दस हजार रुपये अलग से जुर्माना भरने का आदेश अदालत ने दिया है. जुर्माना न देने पर इन्हें तीन माह के कारावास की सजा होगी. अपर लोक अभियोजक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि सेक्टर आठ सी स्ट्रीट 34 निवासी रामकिशोर प्रसाद ने 24 जनवरी 1976 को बीएसएल ज्वाइन किया था. बोकारो इस्पात कामगार, यूनियन के वह पदाधिकारी थे. ट्रेड यूनियन एक्टिविटी को वजह बताते हुए प्रबंधन ने 1983 में उनका दो माह का इंक्रीमेंट रोक दिया. प्रबंधन के इस फैसले को चुनौती देते हुए कर्मी ने लेबर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने 10 जनवरी 1994 को कर्मी के खिलाफ प्रबंधन के फैसले को गलत ठहराते हुए कर्मी को रुका हुआ इंक्रीमेंट बहाल करते हुए प्रमोशन देने का आदेश दिया था, परंतु आरोपी प्रबंधन ने कोर्ट के फैसले को नहीं माना. जिसके बाद कर्मी ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी बोकारो के अदालत को मामले में संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया इसी आलोक में यह फैसला सुनाया गया.