धनबाद:झारखंड में एक से एक प्रतिभावान खिलाड़ी मौजूद हैं. कई खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा के बल पर न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया में झारखंड का डंका बजाया है. लेकिन अब भी कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिनमें अपने खेल को लेकर जुनून तो है लेकिन वे गरीबी, आर्थिक तंगी और सरकार की उदासीनता की वजह से अपने सपने को अंजाम तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. ऐसी ही एक खिलाड़ी है बोकारो के महेशपुर में रहने वाली गुड़िया. राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में अपनी प्रतिभा से लोगो को चौंकाने वाली तीरंदाज गुड़िया आज पेट की आग बुझाने के लिए दूसरे के घरों में काम करने को मजबूर है.
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दो बार जीत चुकी है सिल्वर मेडल
साल 2017 में राज्यस्तरीय सबजूनियर तीरंदाजी प्रतियोगिता (State Level Sub junior Archery Competition) में दो बार सिल्वर जीत चुकी गुड़िया के पास सैकड़ों मेडल और सम्मानपत्र मौजूद है, जो उसकी सफलता की गाथा को बयां कर रही है. गुड़िया ने ऑल यूनिवर्सिटी खेल प्रतियोगिता 2017 में प्रथम, 37वीं सबजूनियर नेशनल आर्चरी चेम्पियनशिप 2016 में सेकेंड और 2019 में विनोबा भावे यूनिवर्सिटी में आयोजित प्रतियोगिता में ब्रॉन्ज मेडल हासिल कर चुकी है. इतनी उपलब्धियों के बावजूद आज गुड़िया पैसे की कमी से जूझ रही है.
घर में प्रैक्ट्रिस करती है गुड़िया
तमाम तरह की दिक्कतों के बावजूद गुड़िया, दीपिका की तरह ही तीरंदाजी में देश का नाम रौशन करना चाहती है. उसकी तैयारी में कोई कमी नहीं रहे इसके लिए संसाधनों की कमी को पूरा करने के लिए उसने जो उपाय अपनाए हैं वो भी काबिले तारीफ है. घर के आंगन में पुआल और टूटे फूटे सामान से लक्ष्यबोर्ड (Target board ) बनाकर गुड़िया रोजाना प्रैक्टिस करती है.
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आर्थिक हालात से मजबूर
तीरंदाजी में अपने लक्ष्य को सटीकता से भेदने वाली गुड़िया का जीवन आर्थिक तंगी की वजह से लक्ष्यविहीन हो गया है. पैसे की कमी के कारण गुड़िया दूसरे के घरों में काम करने को मजबूर है. हालात से मजबूर गुड़िया ने सरकार से नौकरी की गुहार लगाई है ताकि वो उसकी आय से ही अपनी प्रतिभा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा सके.
अपने मेडल और अवार्ड के साथ गुड़िया कोच को भी गुड़िया पर भरोसा
नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल कर चुकी एंजेला सिंह भी अपने इस धनुर्धर पर गर्व करती हैं. वही एंजेला उसके वर्तमान स्थिति को लेकर बेहद व्यथित भी हैं. उन्हें लगता है आखिर उन्होंने उसे क्यो स्वर्णिम सपना दिखाया जो आज सरकारी उदासीनता के कारण लक्ष्य से भटक गया है. नेशनल गेम्स में कुल 18 पदक हासिल कर चुकी एंजेला को अपनी इस छात्रा पर पूरा भरोसा है. ऐसे में जब आज सारा देश तीरंदाज दीपिका से टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड लाने की उम्मीद लगाए बैठा और उसे शुभकामनाएं दे रहा है. वैसे में जरूरत है इस होनहार तीरंदाज को भी जरूरी मदद उपलब्ध कर तराशने की, ताकि देश में दीपिका जैसी प्रतिभा समय समय पर उभर कर सामने आ सके.