बोकारोः कोरोना महामारी ने बोकारो स्टेशन परिसर जहां वीरान है वहीं यहां संचालित दुकानें भी इसकी चपेट में आकर या तो बंद हो गयी है या फिर जो खुले है भगवान भरोसे चल रहे हैं. एक मात्र ट्रेन ही बोकारो स्टेशन पर रुक रही है जिससे स्टेशन पर निर्भर लोग अब काफी परेशान नजर आ रहे है. चाहे वेंडर, गाड़ी चालक या फिर दुकानदार हो, सभी का दर्द झलक रहा है.
ऑटो पर लगा ब्रेक
लॉक डाउन से पहले जहां सड़कों पर दिन रात ऑटो दौड़ती थी और आज अधिकतर टेंपो स्टेशन परिसर पर खड़ी नजर आ रही है. 300 से अधिक ऑटो स्टेशन परिसर से रोजाना यात्रियों को लेकर उनके गंतव्य स्थान पर छोड़ती थी या फिर गंतव्य स्थान से लेकर स्टेशन पहुंचाती थी. आज स्थिति यह हो गयी है कि कई ऐसे ऑटो चालक है कोरोना काल में आर्थिक तंगी के शिकार हो रहे हैं.
किश्त भरने पर आफत
आज ऑटो चालकों को ईएमआई देने में काफी परेशानियो का सामना करना पड़ रहा है और इससे उनको मानसिक रुप से परेशान कर रखा है. लगातर बैंक से पैसा जमा करने के दबाव ने उनकी कमर तोड़ कर रख दी है. चालकों ने ईटीवी भारत से अपना दर्द साझा किया. अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि एक तरफ फाइनेंसर का दबाव, दूसरी तरफ रेल यात्रियों की कमी ने जीना दुश्वार कर दिया है. जो ट्रेनें चल भी रही है उससे यात्री कम ही उतरते हैं, ऐसे में इतनी ऑटो है कि स्टेशन पर सबके सामने परेशानी खड़ी हो जाती है. वहीं यात्री भी कोरोना संक्रमण को लेकर ऑटो से यात्रा करने से बचते भी दिखते हैं. ऑटो चालकों का कहना है कि लॉक डाउन की वजह से सात माह से हम सभी परेशान है. सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि ट्रेनें बढ़ाई जाएं ताकि उनके जैसे लोगों की स्थिति सुधरे और वो अपना लोन चुका सकें.
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स्टेशन परिसर की दुकानें हुई बंद
स्टेशन परिसर में 120 से अधिक दुकानों का व्यवसाय चौपट हो गया है. पिछले छह महीने की बात की जाए तो डेढ़ करोड़ का व्यवसाय प्रभावित होने की बात कही जा रही है. कई दुकानदार दुकान बंद कर अपने घर चले गए हैं, जिसमें कई कुली भी शामिल हैं. वहीं स्टेशन परिसर में खडी ऑटो और अन्य भाड़े की गाड़ियां यात्रियों के इंतजार में ऐसे ही खड़े रह रहे हैं. अब एक ही आस है कि किसी तरह रेल परिचालन सामान्य हो. जिससे हर किसी की जिंदगी सामान्य हो जाए.