रांची/हैदराबाद: झारखंड की उपराजधानी दुमका पर शुरु से ही जेएमएम का कब्जा रहा है. जेएमएम के सुप्रीमो शिबू सोरेन यहां से 8 बार सांसद रहे हैं. इस बार भी वो मैदान में हैं और उनका सामना बीजेपी के सुनील सोरेन से है.
दुमका संसदीय सीट
दुमका झारखंड की उपराजधानी है. बाबा बासुकिनाथ की देव नगरी है. ये संथाल की अहम लोकसभा सीट है. ये सीट एसटी के लिए रिजर्व है. दुमका संसदीय क्षेत्र तीन जिलों जामताड़ा, दुमका और देवघर को मिलाकर बना है. इस संसदीय क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा क्षेत्र शिकारीपाड़ा, नाला, जामताड़ा, सारठ, दुमका और जामा शामिल हैं
सामाजिक तानाबाना
दुमका संसदीय सीट पर आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़े वर्ग के वोटर अधिक हैं. यहां आदिवासी वोटरों की संख्या 40 फीसदी, पिछड़ी जातियों के वोटर भी 40 फीसदी हैं और 20 फीसदी मुस्लिम समुदाय के वोटर हैं. यहां मतदाताओं की कुल संख्या 13 लाख 96 हजार 308 है. जिसमें पुरूष मतदाता 7 लाख 18 हजार 46 हैं. जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 6 लाख 78 हजार 255 है.
2019 का रण
2019 लोकसभा चुनाव में दुमका सीट पर कुल 15 प्रत्याशी हैं. लेकिन मुख्य मुकाबला जेएमएम और बीजेपी के बीच है. जेएमएम की तरफ से एकबार फिर शिबू सोरेन मैदान में हैं. जो 9वीं बार जीत की उम्मीद में हैं. वहीं बीजेपी ने सुनील सोरेन को अपना उम्मीदवार बनाया है. यह तीसरी बार होगा कि दोनों आमने-सामने होंगे.
जेएमएम प्रत्याशी शिबू सोरेन
दुमका से जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन 10वीं बार किस्मत आजमा रहे हैं. उनका जन्म रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में 11 जनवरी, 1944 को हुआ. पिता की मौत के बाद उन्होंने संघर्ष का रास्ता चुना. उन्होंने महाजनों के खिलाफ धान काटो आंदोलन चलाया. 1977 में शिबू सोरेन सियासत की तरफ मुड़े. लेकिन टुंडी से चुनाव हार गये. जिसके बाद उन्होंने दुमका को अपनी सियासी कर्मभूमि बनाया. 1980 में दुमका से पहली बार लोकसभा चुनाव जीता और झारखंड मुक्ति मोर्चा के पहले सांसद बने. वो यहां से 8 बार सांसद रह चुके हैं. शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने हैं.
बीजेपी प्रत्याशी सुनील सोरेनसुनील सोरेन संथाल में बीजेपी के तेज-तर्रार युवा नेता हैं. वो दुमका के तारबांधा गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई की है. 1992 में दुमका के ए.एन. कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की. उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत जेएमएम से की. बाद में बीजेपी में शामिल हुए. साल 2005 में वो जामा से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े. जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे. 2009 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें दुमका से प्रत्याशी बनाया. लेकिन वो चुनाव हार गए. 2014 में पार्टी ने उन्हें दूसरी बार मौका दिया. एकबार फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2019 में बीजेपी ने तीसरी बार उनपर भरोसा जताया है.