रांची: झारखंड की एक पार्टी में घमासान मचा हुआ है. फिलहाल यह घमासान घर की चहारदीवारी के भीतर है, जिसकी जानकारी संबंधित पार्टी के सिर्फ चंद आला नेताओं को है. इसकी पटकथा तैयार हुई लोकसभा चुनाव के नतीजों के दिन यानी 23 मई को. तब संबंधित पार्टी के नेतृत्वकर्ता उन लोगों के साथ हार की वजह तलाश रहे थे, जिनसे वह घिरे रहते हैं. वहीं दूसरी तरफ पार्टी के युवराज, चुनाव के दौरान नेतृत्वकर्ता से हुई चूक की रिपोर्ट तैयार कर रहे थे.
दरअसल, 23 मई की शाम जब यह तय हो गया की प्रतिष्ठा वाली सीट हाथ से निकल गई है, तब पार्टी के इस युवा नेता का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया. उन्होंने पार्टी के नेतृत्वकर्ता पर आरोपों की झड़ी लगा दी. सीटों के तालमेल से लेकर, कार्यकर्ताओं और विधायकों की उपेक्षा का हवाला दिया. नेतृत्वकर्ता पर यहां तक आरोप लगा कि वह चंद ऐसे लोगों से घिरे हुए हैं जो कार्यकर्ताओं को छोड़िए विधायक को भी उनतक पहुंचने नहीं देते हैं. यह भी आरोप लगाया गया कि पार्टी के नेतृत्वकर्ता संगठन के विचार और सुझाव को दरकिनार कर एकतरफा फैसले ले रहे हैं जिसकी वजह से पार्टी की साख पर बट्टा लगा है. नेतृत्वकर्ता पर यह भी आरोप लगा है कि उनकी वजह से एक ऐसी सीट पार्टी के हाथ से निकल गई जिसपर पार्टी की जीत तय थी.