रांची: युवाओं को केंद्र में रखकर अक्सर राजनीतिक बिसात बिछाई जाती है, लेकिन जब उनके सहूलियत मिलने की बात आती है तो वह खुद को सबसे निचले पायदान में खड़े पाते हैं. झारखंड में भी युवाओं की तस्वीर कुछ ऐसी ही है. पिछले 20 साल में बनी अलग-अलग सरकारों ने युवाओं को 'आश्वासन का राशन' दिया है. वह भी ऐसा जिससे रोजगार पाने की भूख नहीं मिट रही है. हालांकि मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद युवा है ऐसे में उनसे उम्मीदें की जा रही है. हालांकि उनकी पार्टी ने भी युवाओं के लिए जो वादे किए थे उसे भी अभी तक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका.
सरकार गठन से पहले किए ये वादेझारखंड मुक्ति मोर्चा के पॉलिटिकल मेनिफेस्टो में साफ लिखा है कि सत्ता में आने के 2 साल के अंदर राज्य के विभिन्न खाली पड़े सरकारी पदों पर नियुक्ति की जाएगी. हालांकि सरकार गठन के 8 महीने बीत चुके हैं. बावजूद इसके अभी तक इस दिशा में कोई खास कार्रवाई नजर नहीं आ रही. वहीं, बेरोजगारों के बीच बेरोजगारी भत्ता देने की भी बात थी, लेकिन अभी तक इस बाबत कोई कदम नहीं उठाया गया. इतना ही नहीं पंचायती राज योजनाओं के निर्माण और कार्यक्रम में भी युवाओं को सीधे तौर पर जोड़ने की घोषणा की गई थी. इसके अलावा यह भी कहा गया था कि सभी जाति एवं धर्म के गरीब छात्रों को राज्य सरकार में नियुक्ति होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए परीक्षा शुल्क नहीं देना होगा. इतना ही नहीं नौकरी देने वाली सरकारी एजेंसियों के लिए एक परीक्षा कैलेंडर बनाए जाने की भी घोषणा की गई थी.
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इस बाबत राज्य में प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी का साफ कहना है कि राज्य सरकार ने 5 लाख युवाओं को हर साल रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन मौजूदा परिस्थिति में यह कहीं नजर नहीं आ रहाय बीजेपी नेता योगेंद्र प्रताप सिंह साफ तौर पर कहते हैं कि राज्य सरकार के पास बड़ी संख्या में युवाओं ने नौकरी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. इनमें वैसे लोग हैं जिनके पास न केवल तकनीकी ज्ञान है बल्कि शैक्षणिक रूप से भी कई मामलों में समृद्ध हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले लंबे चौड़े वादे किए गए. सही मायनों में मौजूदा सरकार घोषणावीर सरकार है.
जेएमएम का दावा पूरे होंगे वादे
वहीं, विपक्ष के आरोप को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा बचाव के पक्ष में आ गया है. पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने साफ तौर पर कहा कि युवाओं के प्रति जो भी कमिटमेंट किया गया है उसे पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खुद एक युवा हैं. ऐसे में युवाओं को उनसे बहुत उम्मीद है. उन्हीं युवाओं के जनादेश की बदौलत राज्य में सरकार बनी है और जो भी वादे उनसे किए गए थे वह जरूर पूरे किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि खेल के क्षेत्र में बैकलॉग नियुक्तियों के लिए भी सरकार ने प्रयास किया है और जो भी पेंडिंग नियुक्तियां हैं उन पर जल्द एक्शन लिया जाएगा.
ठगा महसूस कर रहे युवा
वहीं, हरमू बायपास रोड पर व्यवसाय करने वाले अजीत यादव ने कहा कि नौकरी नहीं मिलने के कारण उन्होंने अपना यह व्यवसाय शुरू किया है. सही मायने में राज्य सरकार केवल घोषणाएं कर रही है. राज्य के युवा ठगा महसूस कर रहे हैं.
क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
झारखंड सरकार के आंकड़ों के अनुसार अब तक राज्य में 8,26,660 बेरोजगारों ने नौकरी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. वहीं, राज्य सरकार ने अब तक 46,396 रिक्रूटमेंट कैंप और मेला का आयोजन किया. आंकड़ों पर गौर करें, तो उन बेरोजगारों की श्रेणी में मीडिल स्कूल से शिक्षा प्राप्त से लेकर डॉक्टरेट की डिग्री वालों ने आवेदन किया है. आंकड़ों के अनुसार रोजगार के लिए आवेदन करने वालों में 2,45,000 से अधिक लोग 12वीं पास हैं, जबकि 2,21,000 से अधिक ग्रेजुएट हैं. वहीं, बेरोजगारों की श्रेणी में 43,000 से अधिक पोस्ट ग्रेजुएट हैं जबकि 74 डॉक्टरेट भी इस श्रृंखला में शामिल हैं. वहीं, 14,270 लोगों ने मीडिल स्कूल तक की शिक्षा हासिल की है.
जातिवार आंकड़ों का यह है समीकरण
अगर जातिवार आंकड़ों को देखें तो रोजगार के लिए आवेदन देने वालों में अन्य पिछड़ा वर्ग से 2,60,000 से अधिक युवक-युवतियों ने आवेदन दिया है, जबकि 1,49,000 से अधिक ऐसे हैं जो अनुसूचित जनजाति समुदाय से आते हैं. वहीं, पिछड़े वर्ग से 98,000 से अधिक लोगों ने आवेदन दिया है. जबकि अनुसूचित जाति के 77,400 से अधिक लोगों ने आवेदन दिया है. सबसे बड़ी बात यह है कि राज्य में अभी तक युवाओं को लेकर एक स्पष्ट नीति तक नहीं बन पाई है. वहीं, खेल नीति को लेकर भी राज्य सरकार के अंदर मंथन का दौर जारी है.
इन मायनों में बहुत समृद्ध है झारखंड
झारखंड में देश की 40% खनिज संपदाओं का भंडार है. राज्य कोकिंग, कोल, यूरेनियम और पाइराइट का अकेला उत्पादक है. वहीं, कोयला, माईका, काईनाइट और तांबा उत्पादन में इसका स्थान शीर्ष पर है. राज्य में एक आंकड़े के अनुसार 72.2 बिलियन टन कोयले का संचित भंडार है. साथ ही यहां कोयले के क्षेत्र में कोल इंडिया लिमिटेड, सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड, भारत कोकिंग कोल लिमिटेड, ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड जैसे सरकारी उपक्रम काम कर रहे हैं. इनके अलावा टीवीएनएल, टाटा स्टील और डीवीसी के कोयला खदान है. राज्य के पश्चिम सिंहभूम जिले में हेमेटाइट का भंडार है जबकि पूर्वी सिंहभूम में मैग्नेटाइट का भंडार है.