रांचीःदेश के 41 कोयला खदानों को कमर्शियलाइज करने और सीएमपीडीआई को कोल इंडिया से अलग करने के खिलाफ मजदूर संगठनों ने गुरुवार से तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी है. इस हड़ताल को भारतीय कोयला श्रमिक संघ, सीटू, एआईसीटीयू समेत अन्य कोयला यूनियनों का समर्थन दिया है.
मजदूर संगठनों ने आज दरभंगा हाउस स्थित सीसीएल ऑफिस के सामने विरोध प्रदर्शन किया. मजदूर यूनियनों की हड़ताल को वामपंथी दलों का भी समर्थन मिला है. इस मौके पर ईटीवी भारत से बात करते हुए सीटू के जनरल सेक्रेटरी आरपी सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले का सीधा असर मजदूरों पर पड़ेगा.
यह भी पढ़ेंःधनबादः कमर्शियल माइनिंग के खिलाफ सड़कों पर उतरे मजदूर, कोयलांचल में दिखा हड़ताल का असर
निजी कंपनियों के आने से कोयले की चोरी बढ़ेगी जो कोल इंडिया को बीमारू बना देगी. लिहाजा आगे चलकर कोल इंडिया की हालत खस्ता हो जाएगी जिसका सीधा असर 3 लाख मजदूरों पर पड़ेगा.
यही नहीं निजी कंपनियां मनमानी पर उतारू हो जाएंगी. कोयला क्षेत्र में 70 के दशक के पहले वाली स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. उन्होंने कहा कि कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी के साथ मजदूर संगठन के प्रतिनिधियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वार्ता भी हुई थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. इसकी वजह से हड़ताल करना पड़ा. इस हड़ताल की वजह से झारखंड में करीब 225 करोड़ का कारोबार प्रभावित होगा.