रांची: झारखंड के ईंट भट्ठों में धीरे-धीरे कामकाज शुरू होने लगा है. MHA के गाइडलाइन के आधार पर 20 अप्रैल से ग्रामीण क्षेत्र के ईंट भट्ठों में ईट बनाने का काम शुरू हो चुका है. ईटीवी भारत की टीम ने रांची जिला के ग्रामीण क्षेत्र स्थित रातू के एक ईंट भट्ठे की पड़ताल की.
वीडियो में जानिए ईंट भट्ठों पर मजदूरी की स्थिति पड़ताल में पता चला कि रांची जिला में करीब 200 ईंट भट्ठे हैं. हर ईंट भट्ठे में गीली मिट्टी से ईंट ढालने का काम करीब 150 मजदूर करते हैं, जो बिहार के गया जिले से आते हैं. यानी सिर्फ रांची में करीब 30 हजार मजदूरों की जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है. इन 30 हजार मजदूरों के आश्रितों की अनुमानित संख्या को 5 से गुणा कर दें तो यह संख्या करीब 1.5 लाख हो जाती है.
ये भी पढ़ें-गुजरात से पैदल चलकर पहुंचे झारखंड के 21 मजदूर, अब ग्रीन जोन को लेकर चिंतित
पड़ताल के दौरान ईंट बनाने वाली गया की मजदूर रेणु देवी ने कहा कि लॉकडाउन के ठीक पहले उनके पति काम के सिलसिले में गया चले गए थे जो वही फंसकर रह गये. इस बीच ईंट भट्ठा के संचालक अपनी जेब से तमाम मजदूरों का भरण-पोषण की जिम्मेदारी उठाते रहे. पड़ताल में पता चला कि एक ईंट भट्ठे में करीब 50 मजदूर ऐसे होते हैं जो कच्ची ईंट को पकाने का काम करते हैं और यह मजदूर खासकर छत्तीसगढ़ से आते हैं.
मजदूरों का दर्द सुनकर खड़े हो जाएंगे रोंगटे!
ईंट भट्ठों पर मजदूर कैसे रहते हैं इसे अगर आप देखेंगे तो रोंगटे खड़े हो जाएंगे. गुफा की तरह कमरे बने होते हैं जिसमें मजदूर अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ रहते हैं. लॉकडाउन के कारण ईंट बनाने का काम बंद होने से इनकी जिंदगी थम गई थी. कैमरा देखकर मजदूरों के छोटे-छोटे बच्चे सामने आ गए. उनके चेहरे पर बेबसी साफ झलक रही थी.
ये भी पढ़ें-झारखंड में थूका तो होगी 6 महीने की सजा, तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर भी पूर्ण प्रतिबंध
मजदूर को कितना मिलता है मेहनताना
पड़ताल में पता चला कि मजदूरों को 1008 ईंट सांचे में तैयार करने पर 650 रुपए मिलते हैं. इसे बनाने के लिए सूर्य की किरण निकलने से पहले मजदूर जुट जाते हैं. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि पूरे झारखंड में औसतन कितने ईंट भट्ठे होंगे और कितने प्रवासी मजदूरों की जिंदगी इस लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुई है.
ईंट भट्ठा संचालक का दर्द जानना भी जरूरी
ईंट भट्ठा संचालक मुखराम सिंह ने कहा कि ईंट को तैयार करने में बालू की भी जरूरत पड़ती है जो नहीं मिल रही है. लॉकडाउन से पहले स्टॉक में रखे गए बालू से ईंट बनवाया जा रहा है. इन्हें इस बात की भी चिंता है कि कोरोना वायरस के खिलाफ जब लड़ाई पूरी हो जाएगी और जिंदगी पटरी पर लौटेगी तब निर्माण क्षेत्र पर किसका कितना प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने आशंका जताई कि जिस तरह से अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है उसका असर ईंट के कारोबार पर भी पड़ेगा.