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मूर्तियां बनीं माधबी का सहाराः पति के निधन के बाद प्रतिमा गढ़ने में लगा दिया जीवन

रांची में मां दुर्गा की एक से एक प्रतिमाएं तैयार की जा रही हैं. लेकिन कोकर इलाके में मां दुर्गा की मूर्ति गढ़ने वाली माधबी खास हैं. जिन्होंने पति की असामयिक निधन के बाद खुद को प्रतिमा गढ़ने में समर्पित कर दिया. आत्मनिर्भर बनकर आज वो एक मिसाल की तरह समाज में उभरी हैं.

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मूर्तिकार माधबी

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Published : Oct 3, 2021, 6:23 PM IST

Updated : Oct 3, 2021, 10:36 PM IST

रांचीः राजधानी के कोकर इलाके में मां दुर्गा की प्रतिमा बना रही, माधबी पाल आज वैसी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं जिन्होंने कोरोना काल में अपनों को खोया है. पति की मौत के बाद घर गृहस्थी चलाने के लिए मूर्ति बनाने के काम मे लगी माधबी ना सिर्फ अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर काबिल बनाया. बल्कि पति के साथ मूर्ति बनाने के काम में सहयोग करने वाले कलाकारों को भी रोजगार दे रही हैं.

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प्रख्यात मूर्तिकार थे माधबी के पति
माधबी पॉल के पति बाबू पाल जिन्हें लोग प्यार से बाबू दा कहते थे, वह रांची के बेहतरीन मूर्तिकार थे और उनकी मूर्ति कला की तारीफ हर तरफ होती थी. एक मूर्तिकार के रूप में बाबू पाल का एक बड़ा परिवार था, जिसमें उनके अलावा कई सहयोगी थे जो प्रतिमा बनाने में मदद करते थे. इसके अलावा बाबू पाल के दो बच्चे और पत्नी माधबी पाल भी प्रतिमा बनाने में उनका साथ देतीं.

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माधबी बताती हैं कि जब तक पति जीवित थे तब तक वह मूर्ति कला का सिर्फ इतना जानती थीं कि उनके पति एक अच्छा मूर्तिकार हैं. जब पति की अचानक मौत 2012 हो गयी तब उन्हें घर की दहलीज से बाहर आकर कला से जुड़े इस व्यवसाय को अपनाया. क्योंकि उन्हें दो बच्चों की बेहतर परवरिश करनी थी, साथ ही साथ उन छह-सात लोगों का परिवार भी चलाना था जो मूर्ति व्यवसाय में लंबे दिनों से उनके पति के साथ जुड़े थे. समय के साथ साथ अब माधबी पाल के हाथ इतने प्रखर हो गए हैं कि उनकी बनाई मूर्तियां ऐसी कि मानो अब बोल पड़ेंगी.

ETV BHARAT से बात करते हुए माधबी बताती हैं कि शुरुआत में काफी परेशानी हुई पर हार ना मानने की जिद से आज वह इस मुकाम पर है. अनपे दोनों बच्चों को अच्छी शिक्षा दी, बेटा रांची में ही जॉब में है और बेटी बेंगलुरु में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की पढ़ाई कर रही है.

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सरकार से शिकायत
कोरोना काल में लंबे दिनों तक चले लॉकडाउन का सबसे खराब असर मूर्ति व्यवसाय पर भी पड़ा. माधबी को मलाल है कि जिन मूर्तिकारों की बनाई प्रतिमा की लोग पूजा कर मनोकामना का आशीष मांगते हैं उन मूर्तियों को गढ़ने वाले कलाकार कोरोना काल में किस हाल में हैं, यह जानने की कोशिश ना समाज ने की और ना ही सरकार ने की.

सरकार की नीतियों से नाराजगी
कोरोना काल में सरकार के द्वारा पूजा को लेकर देर से लिए फैसले (जिसमें 05 फीट तक की ही प्रतिमा बनेगी) को मूर्तिकारों के लिए नुकसान वाला बताया. माधबी ने कहा कि क्या मूर्तियां चंद दिनों में बन जाती हैं, हर मूर्तिकार पहले से इसकी तैयारी करता है. अब जब 05 फीट से ऊंची मूर्तियों में पूंजी लग गया तो सरकार के फैसले के बाद उसे खरीदेगा कौन?

माधबी कहती हैं कि मजबूरी में जीवन की गाड़ी खीचने के लिए उन्होंने कूची और पेंट उठाया था. लेकिन कोई बेटी उनके पास आएगी तो उसे वह किसी दूसरे काम करने के लिए प्रेरित करूंगी क्योंकि कलाकारों की बनाई मूर्तियों की तो सभी प्रशंसा करते हैं पर कलाकारों के दर्द को कोई नहीं देखता. महंगाई के दौर में कोलकाता से मिट्टी, कलर, मां भगवती के साज श्रृंगार का सामान सब महंगा हो गया पर अब लागत भी निकल जाए तो बहुत है.

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कोरोना थीम पर माधबी से मूर्ति बनवाना चाहती थी पूजा समिति, कर दिया इनकार
माधबी बताती हैं कि कुछ दिन पहले एक पूजा समिति के आयोजक उनके पास आए और कोरोना थीम के साथ मूर्ति बनाने का प्रस्ताव दिया. पूजा समिति ने अच्छी कीमत देने की भी बात कही लेकिन वो इसके लिए राजी नहीं हुई. माधबी ने कहा कि कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को तबाह कर रखा है, ऐसे में दुर्गा पूजा में कोरोना की थीम पर मूर्तियां उनसे नहीं बनेगी.


महिला मूर्तिकारों और अन्य कलाकारों के लिए सरकार लाएगी योजना
झामुमो के केंद्रीय महासचिव ने महिला मूर्तिकार माधबी पाल को भाभी जैसी बताते हुए कहते हैं कि आने वाले दिनों में झामुमो की नेतृत्व वाली सरकार कई योजनाएं लाने वाली हैं. माधबी पॉल जैसी कलाकारों के हितों की रक्षा करने, मूर्तिकला को बढ़ावा देने और इसे संरक्षित रखने के लिए भी योजना लाए, इसके लिए झामुमो सरकार से विशेष आग्रह करेगा.

Last Updated : Oct 3, 2021, 10:36 PM IST

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