रांचीः रांची विश्वविद्यालय के साथ साथ सभी कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं इंटरनेट की सुविधा मिले. इसे लेकर चार साल पहले चार करोड़ की लागत से वाई-फाई लगाने का काम शुरू किया गया था. विश्वविद्यालय के मुख्य कैंपस में वाई-फाई लगाकर ट्रायल भी किया गया. लेकिन अब तक छात्र-छात्राओं को इंटरनेट की सुविधा नहीं मिल सकी है. स्थिति यह है कि वाई-फाई को लेकर लगा उपकरण कबाड़ में तब्दील होने लगा है.
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नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर सर्विसेज इन कॉरपोरेट कंपनी को टेंडर दिया गया था. यह कंपनी अब तक रांची विश्वविद्यालय को वाई-फाई लगाकर हैंडओवर नहीं किया है. हालांकि, वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन ने कंपनी पर कार्रवाई करने की बात कही है. चयनित एजेंस को रांची विश्वविद्यालय के मुख्य कैंपस के साथ-साथ मोरहाबादी कैंपस में भी वाई-फाई लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी. एजेंसी का काम पूरा नहीं हुआ. इसके बावजूद साल 2017 में एडवांस भुगतान भी कर दिया गया है.
बताया जा रहा है कि रांची विश्वविद्यालय मुख्यालय और मोरहाबादी स्थित कैंपस के लिए 4 करोड़ रुपये आवंटित किये गये थे. इस योजना के तहत विश्वविद्यालय मुख्यालय, मोरहाबादी स्थित कैंपस, अंगीभूत कॉलेजों में वाई-फाई की सुविधा विद्यार्थियों और शिक्षकों को प्रदान किया जाना था. ट्रायल के रूप में कुछ दिनों तक वाई-फाई की सुविधा चालू भी की गई. लेकिन कुछ ही दिनों में बंद कर दिया गया, जो आज तक बंद है.
विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने बताया कि विश्वविद्यालय में वर्षों पहले वाई-फाई लगाने की बात कही गई थी. लेकिन अब तक इंटरनेट की सुविधा नहीं मिली. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. हालांकि, विश्वविद्यालय के कुलपति कामिनी कुमार ने बताया कि कंपनी ने अब तक वाई-फाई लगाने का काम पूरा नहीं किया है और नहीं विश्वविद्यालय को हैंडओवर नहीं किया है. उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग से इस संबंध में जानकारी मांगी गई तो विभाग की ओर से जवाब नहीं दिया गया है.