रांचीः एफएमसीजी ट्रेड से जुड़े व्यापारियों की समस्याओं के समाधान के लिए रविवार को चेंबर के एफएमसीजी ट्रेड उप समिति की वर्चुअल बैठक की गई. कोविड-19 महामारी को देखते हुए आरबीआई की कर्ज की किस्तों को स्थगित कर 3 माह बाद ब्याज पर लिए जाने वाले ब्याज के प्रावधानों पर डिस्ट्रीब्यूटर ने चिंता जताई है. व्यापारियों ने कहा है कि 3 माह की अवधि समाप्त होने के बाद डिसटीब्यूटर्स एक मुस्त पैसा भुगतान करने में असमर्थ होंगे, क्योंकि लॉकडाउन के कारण पहले की अपेक्षा डिसटीब्यूटर्स व्यापार 30 से 40% डिग्रोथ पर चल रहा है. ऐसे में स्थितियां जब तक सामान्य नहीं होती है तब तक बैंक से इंस्टॉलमेंट से ही लोन रिकवरी की जाए.
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कंपनियां डिस्ट्रीब्यूटर्स पर बना रही दबाव
व्यापारियों ने यह भी कहा है कि संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान डिस्ट्रीब्यूटर ने जरूरी वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने में हर संभव प्रयास किया है, लेकिन वर्तमान में टारगेट के नाम पर कुछ कंपनियों की ओर से डिस्ट्रीब्यूटर्स पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है. कंपनियों के साथ सेटलमेंट होने में भी कठिनाई हो रही है. इस दौरान उप समिति चेयरमैन संजय अखौरी ने उन कंपनियों के उच्च अधिकारियों से सिलसिलेवार वार्ता कर समस्याओं के शीघ्र निपटारे का आग्रह किया है. उन्होंने कहा है कि जब तक पुराने डिस्ट्रीब्यूटर की ओर से एनओसी नहीं मिलता तब तक किसी अन्य डिस्ट्रीब्यूटर को कार्य नहीं सौंपा जाए.
साथ ही व्यापारियों ने सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार के वाहनों के फिटनेस, लाइसेंस, निबंधन, पॉल्यूशन समेत अन्य दस्तावेजों की समय सीमा 31 दिसंबर तक विस्तारित करने के निर्णय का स्वागत किया है. बता दें कि झारखंड सरकार के केवल ड्राइविंग लाइसेंस में ही छूट दिए जाने पर नाराजगी जताई है. व्यापारियों ने राज्य सरकार से यह आग्रह किया गया है कि एफएमसीजी डिसटीब्यूटर्स को उनके मालवाहक वाहनों के पॉल्यूशन, फिटनेस समेत अन्य दस्तावेजों के अपडेट कराने से वर्तमान में छूट दी जाए. साथ ही मालवाहक टेंपो को शहर में परिचालन के लिए नो एंट्री से छूट दी जाए.