नई दिल्लीःदशहरा पर्व (Dussehra Festival 2022) अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक (festival of victory of good over evil)है. इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था. कुछ स्थानों पर यह त्योहार 'विजयादशमी' के रूप में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह उत्सव माता 'विजया' के जीवन से जुड़ा है.
शत्रुओं पर विजय की कामना लिए इस दिन 'शस्त्र पूजा' का विधान है. इसके अलावा मशीनों, कारखानों आदि की पूजन की परंपरा है. देश की तमाम रियासतों और शासकीय शस्त्रागारों में 'शस्त्र पूजा' बड़ी धूमधाम के साथ की जाती है. क्षत्रिय योद्धा एवं सैनिक इस दिन अपने शस्त्रों की पूजा करते हैं. यह पूजा आयुध पूजा के रूप में भी की जाती है.
पुरातन काल में राजशाही क्षत्रियों के लिए यह पूजा मुख्य मानी जाती थी. ब्राह्मण इस दिन मां सरस्वती की पूजा करते हैं. वैश्य अपने बही खाते की आराधना करते हैं. कई जगहों पर होने वाली नवरात्रि रामलीला का समापन भी आज के दिन होता है.
बन रहा है विशेष योग
गाजियाबाद स्थित शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र के आचार्य शिव कुमार शर्मा के मुताबिक, दशहरा अथवा विजयदशमी का पर्व इस वर्ष 5 अक्टूबर 2022 को दिन बुधवार को मनाया जाएगा. इस दिन श्रवण नक्षत्र होने से छत्र योग बनता है जो अत्यंत कल्याणकारी होता है. विजयदशमी को श्रवण नक्षत्र का होना बहुत ही शुभ होता है, जो शाम को 9:14 तक रहेगा. दशहरा पूजन मध्याह्न में करते हैं और रावण दहन शाम को करेंगे.
दशहरा पूजन का शुभ मुहूर्त
प्रातः 9: 33 बजे से 11:51 बजे तक रहेगा.
12:00 से 1:30 तक राहुकाल है. इसमें दशहरा पूजन नहीं करना चाहिए.
उसके पश्चात 13:54 बजे से 15:37 बजे तक विजय दशमी पूजन का शुभ मुहूर्त है.
राष्ट्र की रक्षा का लेते थे संकल्प