रांची: कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमीक्रोन का खतरा देश मे लगातार बढ़ता जा रहा है. तेजी से फैलने वाले इस वेरियंट के 87 से अधिक केस देश में मिल चुका है. ऐसे में झारखंड में भी यह वेरिएंट कब दस्तक दे दे यह कहना मुश्किल है. यही कारण है कि झारखंड में इस संभावित खतरे से निपटने की तैयारियों में सरकार और स्वास्थ्य महकमा जुटी हुई है. इन तैयारियों के बीच झारखंड पीएम केयर्स फंड से मिले दो दर्जन से अधिक वेंटिलेटर समस्या बने हुए हैं. वेंटिलेटर में कई समस्याओं को लेकर डॉक्टर उस पर विश्वास करने को तैयार नहीं हैं.
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वेंटिलेटर्स पर भरोसा नहीं
रिम्स न्यू ट्रॉमा सेंटर के हेड डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्या ने बताया कि ट्रॉमा सेंटर जो अभी कोविड केयर सेंटर के रूप में काम कर रहा हैं वहां पीएम केयर्स फंड से मिले 100 से ज्यादा वेंटिलेटर्स काम कर रहे हैं जबकि दो दर्जन से ज्यादा वेंटीलेटर्स ऐसे हैं जिस पर डॉक्टरों को भरोसा नहीं है. उनके मुताबिक पीएम केयर्स से मिले कैगवा कंपनी का वेंटिलेटर मरीजों को लगाने के बाद अचानक बंद हो जाता है. इसके अलावे कई बार रोगी की स्थिति के हिसाब से जो सेटिंग्स डॉक्टर्स करते हैं वेंटीलेटर्स उस तरह से डिलीवर नहीं कर पाता है. ऐसे में मरीजों के जीवन पर कोई खतरा न हो इस लिए डॉक्टर्स वेंटीलेटर्स पर भरोसा नहीं कर रहे हैं.
तत्काल वेंटिलेटर्स को ठीक कराने की मांग रिम्स ट्रॉमा सेंटर के हेड देश के उन चंद डॉक्टरों में शामिल हैं जिनसे वीडियो कांफ्रेंसिंग से पीएम मोदी ने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बात की थी. तब डॉक्टर प्रदीप भट्टाचार्या ने पीएम मोदी को बताया था कि कई वेंटिलेटर्स काम नहीं कर रहा. उसके बाद पीएमओ के संज्ञान लेने के बाद भेल कंपनी वाली वेंटिलेटर्स ठीक हो गयी पर दूसरी कंपनी वाली वेंटिलेटर्स पूरी तरह ठीक नहीं हो सका है.
अन्य तैयारियां भी कर रहा है रिम्स ट्रॉमा सेंटरओमीक्रोन के संभावित खतरे से निपटने के लिए ट्रॉमा सेंटर जिसे स्टेट कोविड सेंटर बनाया गया है उसमें मानव संसाधन बढ़ाने ,मॉनिटर और अन्य संसाधन के लिए भी प्रबंधन को लिखा गया है.