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झारखंड की सेहत में सेंध लगा रहा है सिगरेट और तंबाकू, क्या कर रही है सरकार?

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017 के मुताबिक झारखंड के हर सौ में 59 पुरुष और 17 महिलाएं तंबाकू का इस्तेमाल करती हैं. इस पर नियंत्रण के लिए झारखंड सरकार ने कुछ सख्त फैसले लिए हैं. इसके बावजूद राजधानी रांची में ही धड़ल्ले से डिब्बा खोलकर सिगरेट और तंबाकू बेचे जा रहे हैं.

ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे

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Published : Mar 25, 2021, 3:10 PM IST

रांचीः तंबाकू के इस्तेमाल से देश में हर साल साढ़े तेरह लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है. ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017 के मुताबिक देश में करीब 27 करोड़ व्यस्क किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं. इस मामले में झारखंड की स्थिति अच्छी नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड के करीब 38.9 प्रतिशत व्यस्क तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं. इसमें 59.7 प्रतिशत पुरूष और 17 प्रतिशत महिलाएं हैं. यही नहीं करीब 22.5 प्रतिशत व्यस्क सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान के संपर्क में आकर बीमारी बटोर रहे हैं. जाहिर सी बात है कि तंबाकू और धूम्रपान की आदत झारखंड के हेल्थ सिस्टम में सेंध लगा रही है. ऊपर से कोरोना वायरस ऐसे लोगों को अपना आसान शिकार बना रहा है.

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कितनी गंभीर है झारखंड सरकार

इस पर नियंत्रण के लिए झारखंड सरकार ने कुछ सख्त फैसले लिए हैं. सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण विनियमन)(झारखंड संशोधन) विधेयक 2021 के जरिए अब धूम्रपान या तंबाकू का सेवन करते पकड़े जाने पर 200 रुपए की जगह 1000 रुपए का जुर्माना लगेगा. 21 साल से कम उम्र का किशोर कोई भी तंबाकू उत्पाद को न बेच सकेगा और न खरीद सकेगा. शिक्षण संस्थान, अस्पताल, स्वास्थ्य संस्थान, सार्वजनिक दफ्तर और कोर्ट के सौ मीटर के परिधि में सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद की खरीद-बिक्री की अनुमति नहीं होगी. डब्बा खोलकर सिगरेट बेचने पर रोक रहेगी.

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झारखंड में हुक्का बार पर प्रतिबंध

झारखंड देश का ऐसा पांचवां राज्य है जहां हुक्का बार पर प्रतिबंध लगा हुआ है. इससे पहले गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान सरकार ने हुक्का बार पर प्रतिबंध लगाया था. अब सवाल है कि झारखंड सरकार ने हुक्का बार पर प्रतिबंध क्यों लगाया. दरअसल, हाल के वर्षों में हुक्का एक फैशन का रूप ले चुका है, खासकर युवाओं और कॉलेज के छात्रों के बीच. विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक हुक्का पीना सिगरेट के धुंए जितना ही जहरीला होता है. एक सामान्य हुक्का पीने से सांस में धुंए की मात्रा करीब 90000 मिमी निर्गत होती है जबकि एक सिगरेट से करीब 500 से 600 मिमी एक सिगरेट की तुलना में हुक्का के धुंए में अधिकर मात्रा में आर्सेनिक लेड और निकिल होता है. जबकि 36 गुना ज्यादा टार बनता है. लिहाजा, झारखंड ने युवाओं के स्वास्थ्य के मद्देनजर हुक्का बार पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस फैसले की चौरतरफा तारीफ भी हुई है.

क्या सिर्फ प्रतिबंध से होगा कोई फायदा

बेशक, धूम्रपान और तंबाकु की खरीद-बिक्री पर रोक लगी है. जुर्माना की राशि भी बढ़ा दी गई है लेकिन सच्चाई कुछ और है. राजधानी रांची में आज भी धड़ल्ले से डिब्बे खोलकर सिगरेट और तंबाकू बेचे जा रहे हैं. इस दिशा में सख्ती के साथ काम नहीं किया गया तो सिगरेट और अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण विनियमन) (झारखंड संशोधन) विधेयक 2021 के पारित होने भर से कुछ नहीं होगा.

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