नई दिल्ली: केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्रालय के द्वारा संचालित TRIFED ने गुरूवार को वर्कशॉप का आयोजन किया. जिसमें केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, राज्य मंत्री रेणुका सिंह मौजूद थे, अर्जुन मुंडा ने कहा कि यह राष्ट्रीय कार्यशाला बांस, लाह और शहद के क्षेत्र में विभिन्न जनजातीय उद्यमों का समर्थन करने के लिए एक अप्रितम कार्यशाला है.
अर्जुन मुंडा ने कहा कि मैं लंबे समय से सोच रहा था कि हम जनजातीय समुदाय के विकास और समृद्धि की हमारी खोज में सबसे महत्वपूर्ण कड़ी को भूले हुए हैं. वह है ट्राईबल एंटरप्राइज अर्थात जनजातीय उद्यम. अर्जुन मुंडा ने कहा की हरेक जनजातीय व्यक्ति स्वभाव से ही एक उद्यमी है और यह जनजातीय समुदाय में आदिकाल से संरक्षित स्वदेशी पारंपरिक ज्ञान से परिलक्षित होता है. उन्हें अपने व्यापार में चारों तरफ से बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और अपना गुजर-बसर के लिए, चुनौतियों से वापस लड़ने, आगे बढ़ने और समृद्धि के लिए मंत्रालय के सहारे की आवश्यकता है, जिस आधारित मिशन और संगठनों के साथ आवश्यक तालमेल से बांस मिशन, शहद मिशन, आईआईएनआरजी आदि विकसित किए जाएंगे ताकि किसी भी छोड़ पर ढील ना रहे.
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अर्जुन मुंडा ने आगे कहा कि सभी विकासात्मक और कल्याणकारी योजनाओं पर मेरी नजर है. पिछले 2 वर्षों में TRIFED द्वारा उठाए गए नए अभिनव और साहसिक कदमों से भी मैं अवगत हूं. 'ट्राइब्स इंडिया' अब एक ब्रांड है और लोगों को ट्राइब्स इंडिया उत्पादों को खरीदने में विश्वास है. अर्जुन मुंडा ने कहा कि TRIFED द्वारा इस ब्रांडिंग को सफल बनाने के लिए दो प्रमुख काम किए गए हैं. सबसे पहले उन्होंने शो रूम्स की संख्या में 120% से अधिक की वृद्धि की है. आज हमने 100 के जादुई आंकड़े को पार कर लिया है.
हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि यह भारत में जनजातीय लोगों के लिए एक जबरदस्त नैतिक समर्थक रहा है. अब उनके उत्पाद अर्थात उनके श्रम का फल संपूर्ण भारत में उपलब्ध है. TRIFED द्वारा आक्रमक विपणन पर जबरदस्त जोर देने से बिचौलियों की भूमिका भी समाप्त हो गई है. उन्होंने कहा कि मैं एक ऐसी चुनौती को उजागर करना चाहूंगा जिससे महत्वाकांक्षाओं की वृद्धि कहा जाता है, नई विपणन रणनीति और ब्रांडिंग के साथ, जनजातीय समुदाय की अच्छी कमाई करने की उम्मीदें बढ़ गई हैं. वह अब अपने उत्पादों के उत्पादन, उनकी गुणवत्ता और सेवाओं में सुधार लाना चाहते हैं.
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अर्जुन मुंडा ने कहा कि TRIFED का अपना वन धन विकास कार्यक्रम है जिसके न्यूनतम समर्थन मूल्य आधारित संग्रहण, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण गतिविधियों, भंडारण और प्राथमिक उपचार सुविधाओं का प्रावधान है, इन सभी के लिए प्रावधान किया गया है और इन्हें कार्यान्वित किया जा रहा है. इसका उद्देश्य एक विकेंद्रीकृत आम सुविधा के तहत उन्नत उत्पादन के लिए तकनीकी सहायता के साथ उचित मशीनरी और उपकरण प्रदान करने के लिए स्वयंसेवी समूहों को प्रारंभिक धन प्रदान करना है. स्वयंसेवी समूहों के संघ को उनके उत्पादों में सुधार लाने के लिए इन मशीनों का प्रयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा और अन्य सर्वनिस्ठ सुविधाओं का उपयोग करना सिखाया जाएगा.