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पटना और चेन्नई में खुला ट्राइब्स इंडिया का शोरूम, अर्जुन मुंडा ने किया शुभारंभ

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Published : Nov 2, 2021, 10:00 PM IST

केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने पटना और चेन्नई में ट्राइब्स इंडिया के 4 शोरूम का शुभारंभ किया. अब पूरे देश में ट्राइब्स इंडिया के आउटलेट की संख्या 147 हो गई है. इससे आदिवासी उत्पादों को बड़ा बाजार मिलेगा.

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ट्राइब्स इंडिया का शोरूम

नई दिल्ली: केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने वर्चुअल माध्यम से ट्राइब्स इंडिया के 4 शोरूम का शुभारंभ किया. जिसमें एक शोरूम पटना और तीन शोरूम चेन्नई में खोला गया. इस दौरान केंद्रीय आदिवासी कल्याण राज्यमंत्री रेणुका चौधरी भी मैजूद थीं.

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अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासियों के आय में वृद्धि हो. उनके उत्पादों को नया और बड़ा बाजार मिले. उनका सशक्तीकरण हो. लोकल फॉर वोकल को बढ़ावा मिले. उसी उद्देश्य के साथ इन शोरूम को खोला गया है. ट्राइब्स इंडिया के शोरूम का विस्तार पूरे देश में किया जा रहा है. मंगलवार को 4 नए शोरूम खोले गए हैं. अब पूरे देश में ट्राइब्स इंडिया के आउटलेट की संख्या 147 हो गई है. देश भर में ट्राइब्स इंडिया शोरूम का और विस्तार होगा. अन्य शहरों में भी आउटलेट खोले जाएंगे. अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासियों की संस्कृति को हमें बचाना है. उनके उत्पादों को बड़ा मंच मिले, उसके लिए निरंतर हमारा मंत्रालय और ट्राइफेड काम कर रहा है.


1987 में ट्राइफेड की स्थापना


आदिवासी कल्याण मंत्रालय द्वारा संचालित संस्थान ट्राइफेड का पूरा नाम 'द ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट ऑफ इंडिया' है. साल 1987 में इसकी स्थापना हुई थी. ट्राइफेड का मूल उद्देश्य आदिवासी लोगों द्वारा जंगल से एकत्र किए गए या उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों को बाजार में सही दामों पर बिकवाने की व्यवस्था करना है. साल 1999 में दिल्ली में महादेव रोड पर पहला ट्राइब्स इंडिया का शोरूम खोला गया था. तब से अब तक देश भर में इसकी संख्या 147 हो चुकी है.

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ट्राइब्स इंडिया के शोरूम्स में कई सामग्री मौजूद

ट्राइब्स इंडिया के शोरूम्स में प्राकृतिक और प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले जनजातीय उत्पाद जैसे जैविक हल्दी, सूखा आंवला, जंगली शहद, काली मिर्च, रागी, त्रिफला के अलावा विभिन्न प्रकार के दाल जैसे मूंग, उड़द, सफेद बीन्स और डलिया से लेकर पेंटिंग जैसी कलाकृतियां चाहे वो वार्ली शैली की हों या पटचित्र. डोकरा शैली में हस्तनिर्मित आभूषणों से लेकर पूर्वोत्तर की वांचो और कोन्याक जनजातियों द्वारा बनाए गए मोतियों के हार. समृद्ध एवं जीवंत सूती और रेशमी वस्त्र, रंगीन कठपुतलियों और बच्चों के खिलौनों से लेकर पारंपरिक बुनाई जैसे डोंगरिया और बोडो बुनाई वाले शॉल. धातु शिल्प से लेकर बांस से बने उत्पाद. यहां तक कि हर तरह की उपहार देने योग्य वस्तु उपलब्ध है.

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