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राज्य के मनरेगाकर्मियों का दो दिवसीय कलम बंद हड़ताल, कहा- इस बार आर पार की लड़ाई

राज्यभर के मनरेगा कर्मचारी 31 वें दिन लगातार अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. झारखंड में चल रहे अनिश्चितकालीन हड़ताल के समर्थन में दिनांक 26 और 27 अगस्त को पूरे भारतवर्ष के सभी राज्यों के मनरेगाकर्मियों ने दो दिनों का कलम बंद हड़ताल किया है.

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Published : Aug 26, 2020, 4:37 PM IST

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हड़ताल पर मनरेगाकर्मी

रांची: बुधवार को राज्यभर के मनरेगा कर्मचारी 31 वें दिन लगातार अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटे रहे. राज्य भर के सभी मनरेगाकर्मियों ने अपने-अपने जिला मुख्यालय में एकत्रित होकर हाथों में तख्ती लेकर नारेबाजी की. एक मानव श्रृंखला बनाकर सरकार के प्रति विरोध प्रदर्शन किया.

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सकारात्मक वार्ता नहीं हो पाई

झारखंड में चल रहे अनिश्चितकालीन हड़ताल के समर्थन में दिनांक 26 और 27 अगस्त को पूरे भारतवर्ष के सभी राज्यों के मनरेगाकर्मियों ने दो दिनों का कलम बंद हड़ताल किया है. अब यह आंदोलन राष्ट्रव्यापी बन गया है. आने वाले दिनों में यह आंदोलन और भी व्यापक होगा, अन्य कर्मचारी संगठन भी संपर्क में है, जो मनरेगा कर्मचारी संघ का समर्थन करना चाहते हैं. संघ ने कहा कि मनरेगा कर्मचारी संघ बार-बार सकारात्मक वार्ता के लिए सरकार और विभाग से आग्रह कर रही है, पर विभागीय अधिकारियों के हठधर्मिता और अड़ियल रवैया की वजह से अभी तक सकारात्मक वार्ता नहीं हो पाई है.

आर पार की लड़ाई

विभागीय अधिकारी शुरू से ही आंदोलन को कुचलने का काम कर रहे हैं, बर्खास्तगी की धमकी और अल्टीमेटम भी दिया गया है. हड़ताल के दौरान मनरेगाकर्मियों को डराने के लिए प्रदेश अध्यक्ष और धनबाद के जिला अध्यक्ष को बर्खास्त कर दिया गया. हड़ताल के दौरान यह कार्रवाई गलत मंशा से आंदोलन को कमजोर करने के उद्देश्य से की गई है, लेकिन सरकार के इन पैतरों से मनरेगा कर्मी तनिक भी भयभीत नहीं हैं. इस बार आर पार की लड़ाई लड़ने के लिए कमर कस लिया गया है.

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'सभी मनरेगाकर्मी को स्थाई करें'
संघ ने कहा कि विभागीय अधिकारी अखबार में आकस्मिक मद से संबंधित बेतुका बयान देकर मनरेगाकर्मियों और सरकार दोनों को गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं, जबकि सच्चाई ये है कि पिछले 3 वर्षों में आकास्मिता मद का केवल 36 से 65 प्रतिशत ही मनरेगाकर्मियों की सैलरी में खर्च हुआ है. इस तरह केवल आकस्मिक मद से ही मनरेगाकर्मियों का वेतन दोगुना किया जा सकता है. आकस्मिक मद का मुद्दा मनरेगाकर्मियों के स्थाईकरण के मुद्दे से भटकाने का प्रयास है, पर संघ का कहना है कि हड़ताल अपने मुख्य मांगों के पूर्ति के लिए है. जिसमें स्थाईकरण और सामाजिक सुरक्षा जैसे मद्दे प्रमुख हैं. 13 वर्षों से मनरेगा और ग्रामीण विकास के अन्य कार्यों को करने के बाद सरकार को चाहिए कि जल्द ही सभी मनरेगाकर्मी को स्थाई करें.

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मुख्य बिंदु

  • झारखंड के मनरेगाकर्मियों के समर्थन में पूरे देश भर के मनरेगाकर्मियों ने किया दो दिवसिय कलमबंद हड़ताल
  • मनरेगा कर्मियों का आंदोलन अब राष्ट्रव्यापी आंदोलन- अखिल भारतीय मनरेगा कर्मचारी महासंघ
  • आकस्मिक मद का मुद्दा मुख्य मांगों से भटकाने की साजिश- संघ
  • एक महीने में पूरे राज्य में मानवदिवस के सृजन में 70 प्रतिशत की गिरावट
  • आंकड़ा दिखाकर गुमराह किया जा रहा है

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