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झारखंड में आदिवासी उद्यमियों की हो रही उपेक्षा, टिक्की का सीएम हेमंत को पत्र, सरकार पर उठाए गंभीर सवाल

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Published : Aug 27, 2021, 8:45 PM IST

झारखंड में नई सरकार को बने लगभग दो साल हो गए हैं. लेकिन इसके अब भी झारखंड में आदिवासी उद्यमियों की स्थिति ठीक नहीं है. ऐसे में टिक्की ने सीएम हेमंत को पत्र लिखा और सरकार पर उठाए गंभीर सवाल उठाएं हैं.

Tribal entrepreneurs neglected in Jharkhand
सीएम हेमंत सोरेन और वैद्यनाथ मांडी

रांची:झारखंड के आदिवासी युवा और उद्यमियों की हर मोर्चे पर उपेक्षा की जा रही है. राज्य के मुखिया का ध्यान आदिवासी उधमिता पर नहीं है. वहीं, कारोबार की राह आसान करने में झारखंड देशभर में पांचवें स्थान पर है. लेकिन आदिवासी उद्यमी और युवाओं की राह झारखंड में आसान नहीं है.

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आदिवासी उधमिता पर कोई नीति नहीं बनी

नई सरकार को आए करीब 2 साल बीतने को हैं लेकिन ना ही आदिवासी उधमिता पर कोई नीति बनाई गई, ना ही पूर्व से संचालित योजनाओं का क्रियान्वयन सही ढंग से हो पाया. ट्राइबल इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री यानी टिक्की के झारखंड चैप्टर ने वर्तमान माहौल में आदिवासी उद्यमिता के मसलों का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र भेजा है. टिक्की, झारखंड चैप्टर के प्रदेश अध्यक्ष वैद्यनाथ मांडी ने झारखंड में औद्योगिक वातावरण की तैयारी की सराहना की है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार नई औद्योगिक एवं निवेश नीति 2021 को लेकर काफी उत्साहित और गंभीर है. निवेशकों को बेहतर सुविधाएं दी जा रही है. राज्य सरकार दिल्ली में दो दिवसीय इन्वेस्टर्स समिट कर रही है. लेकिन जब बात आदिवासी युवाओं की होती है तो सबकुछ बदला बदला नजर आने लगता है.

सरकार ने की खानापूर्ति

टिक्की के झारखंड अध्यक्ष का कहना है कि आज सरकार कहती है कि नई औद्योगिक एवं निवेश नीति 2021 में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं महिलाओं के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया गया है. लेकिन यह प्रोत्साहन हमेशा से रही है जो न्याय संगत नहीं है. झारखंड राज्य में आदिवासी एवं अनुसूचित जाति के लिए उद्योग व्यापार के क्षेत्र में कुछ भी विशेष नहीं है. ना ही किसी सरकार ने गंभीरता दिखाई है. सभी सरकारों ने खानापूर्ति का काम किया है. ऐसे माहौल में आदिवासियों को उधमिता से कैसे जोड़ा जा सकेगा, कैसे आदिवासी युवा उद्योग-धंधे लगाएंगे, जब राज्य के मुखिया को ही आदिवासी उद्यमिता के प्रति सकारात्मक रवैया नहीं हो.

झारखंड प्रोक्योरमेंट पॉलिसी 2014 कागजों पर

मांडी ने आरोप लगाया है कि ट्राइबल चेंबर द्वारा नियमित तौर पर मौजूदा योजनाओं में संशोधन और नई योजनाओं के क्रियान्वयन का निवेदन किया जाता रहा है लेकिन राज्य सरकार इस पर कभी गंभीर नहीं दिखी है. झारखंड प्रोक्योरमेंट पॉलिसी 2014 कागजों पर प्रदर्शित है 7 साल बाद भी इसका क्रियान्वयन सभी विभागों में नहीं हो रहा है. इसमें एसटी-एससी के लिए प्रावधान का भी अता-पता नहीं है. मांडी का आरोप है कि वर्ष 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में एसटी-एससी को उद्योग लगाने के लिए औद्योगिक क्षेत्रों में आधी कीमत में जमीन उपलब्ध कराने की व्यवस्था की थी. इस योजना को वर्तमान सरकार ने मार्च 2021 में स्वीकृति भी दी लेकिन अबतक उसकी अधिसूचना जारी नहीं की गई है. निविदा स्थानीय संवेदको को और एसटी-एससी को प्राथमिकता भी कागजों पर है. मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना का भी यही हाल है. अभी तक लाभुकों को ऋण प्राप्त नहीं हुआ है. लाभुक द्वारा मार्जिन मनी जमा किए हुए भी 6 महीना बीत चुके हैं. बिना गारंटर 50,000 ऋण के लिए भी आदिवासी युवाओं को एड़ी चोटी एक करवाया जा रहा है.

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