रांची: राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई है. हर दिन शहर में जाम की स्थिति से लोग त्रस्त हैं. रातू रोड, मेन रोड और कांटा टोली से गुजरने वाले लोग जाम से सबसे ज्यादा परेशान हैं. राजधानी में जहां ट्रैफिक व्यवस्था चौपट हो गई है वहीं इसे ठीक करने वाला भी कोई नहीं है. सबसे हैरत की बात तो ये है कि राजधानी जैसे संवेदनशील जगह पर पिछले तीन महीने से कोई नियमित ट्रैफिक एसपी नहीं है.
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सड़क पर रेंगती है गाड़ियां
कुल मिलाकर यह कहा जाए कि राजधानी की वर्तमान समय में स्थिति ऐसी है कि अगर आप तय समय पर अपने गंतव्य स्थल तक पहुंचना चाहते हैं तो आपको एक दो घंटा पहले घर से निकलना होगा नहीं तो आप समय पर शायद ही पहुंच पाएंगे. रांची के कांटा टोली चौक, सुजाता चौक, हरमू रोड से भारत माता चौक, किशोरगंज, करम टोली चौक, नागा बाबा खटाल से कचहरी चौक तक गाड़ियां हर दिन चलती नहीं रेंगती रहती है. कुछ ऐसा ही हाल जेल चौक से कचहरी चौक और लालपुर चौक से डिस्टलरी पुल तक का भी बना रहता है.
रातू रोड और कांटाटोली में स्थिति खराब रांची की ट्रैफिक व्यवस्था कितनी खराब है इसका अंदाजा रातू रोड या कांटा टोली चोक को देखकर लगाया जा सकता है. दिन के समय में अगर आप किसी को ये कह दे कि वह अपने फोर व्हीलर लेकर रातू रोड या कांटा टोली चौक चलें तो शायद वह आपको हाथ जोड़कर मना कर देगा. दरअसल इन दोनों जगहों पर इतना जाम लगा रहता है कि इस सड़क से गुजरने वाले लोग त्रस्त हो जाते हैं. लगातार जाम की स्थिति रहने की वजह से यहां के लोगों का कारोबार भी प्रभावित हो रहा है.
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हर 2 मिनट में गुजरते हैं 800 वाहन
कांटा टोली चौक राजधानी का सबसे व्यस्ततम चौक है. यहां का ट्रैफिक टाइमिंग 200 सेकंड का है. इस चौक से स्कूल बस, यात्री बस, छोटे मालवाहक, एंबुलेंस समेत हर 2 मिनट में चौक के चारों ओर से लगभग 800 वाहन गुजरते हैं. इस चौक पर ट्रैफिक का भार इतना अधिक होता है कि कई बार ट्रैफिक लाइट के हिसाब से काम करने पर और ज्यादा जाम लग जाता है इसलिए मैनुअल तरीके से ही यहां ट्रैफिक हैंडल किया जाता है. कुछ ऐसा ही हाल पूरे रातू रोड इलाके का भी है. रातू रोड में रेस्टोरेंट चलाने वाले मनीष मनु की मानें तो उन्होंने रातू रोड में अपना एक नया रेस्टोरेंट खोला है. लेकिन कहीं भी वाहन लगाने के लिए कोई जगह नहीं होने की वजह से उनके रेस्टोरेंट में ग्राहक नहीं आते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार यहां सब कुछ भगवान के भरोसे चल रहा है.
खाली है रांची ट्रैफिक एसपी का पोस्ट
पांच अगस्त को रांची के तत्कालीन ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग का तबादला हुआ था, उसके बाद से अब तक रांची में नियमित ट्रैफिक एसपी की पोस्टिंग नही हुई है. अजीत पीटर के बाद दो सप्ताह के लिए अंजनी अंजन ट्रैफिक एसपी बनें. उनके तबादले के बाद सीसीआर एएसपी रिष्मा रमेशन ट्रैफिक एसपी के प्रभार में रही लेकिन उनका भी तबादला कर दिया गया. रिष्मा रमेशन को धनबाद का ग्रामीण एसपी बनाया गया है. ऐसे में राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था संभालने वाला फिलहाल कोई आईपीएस नहीं है. वही रांची के महत्पूर्ण माने जाने वाले हटिया डीएसपी का पद भी दो महीने से रिक्त है. यहां ट्रैफिक डीएसपी जीत वाहन प्रभार संभाल रहे हैं.
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सवालों के घेरे में तबादला
रांची के सिटी एसपी सौरभ ही फिलहाल ट्रैफिक एसपी के प्रभार में है.रांची के ट्रैफिक एसपी रहे अजीत पीटर डुंगडुंग का तबादला झारखंड जगुआर में हुआ था. लेकिन वहां एसपी का पद ही नहीं है. इसकी वजह से उन्हें वेतन तक नहीं मिल रहा है. अब सवाल यह है कि आखिर अजीत पीटर डुंगडुंग को वैसे स्थान पर क्यों भेजा गया जहां उनके लिए पद ही नहीं था. सवाल यह भी है कि जब अजीत पीटर ट्रैफिक की जिम्मेदारी बेहतर तरीके से संभाल रहे थे तो भी उनका तबादला आखिर क्यों किया गया. उनके तबादले के बाद नियमित ट्रैफिक एसपी की पोस्टिंग क्यों नहीं की गई. सवाल कई हैं जिसका जवाब किसी के पास नही है लेकिन विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार पर गंभीर आरोप लगा रहा है.
पैसे लेकर होती है पोस्टिंग
ट्रैफिक एसपी के खाली पद को लेकर सियासत भी शुरू हो गई है.पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक अमर बाउरी के अनुसार जाम की स्थिति सरकार के लोगों को नहीं दिखती है क्योंकि वह तो वीआईपी प्रोटोकॉल के तहत सड़कों पर निकलते हैं. उनके लिए सड़कें खाली करवा दी जाती है. ऐसे में उन्हें आम लोगों का दर्द कैसे समझ में आएगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ट्रांसफर पोस्टिंग को लेकर यह सरकार पूरी तरह से विवादित रही है.सिर्फ राजधानी रांची में ही नहीं कई शहरों में महत्वपूर्ण पद सिर्फ इसलिए खाली है क्योंकि उस पद के एवज में पैसे देने वाले अधिकारी नहीं मिल रहे हैं.
16 दिसंबर से बिगड़ सकती है हालात
16 तारीख से झारखंड विधानसभा सत्र शुरू होने वाला है कई संगठन आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरने वाले हैं. जिसके बाद राजधानी की सड़कों पर चलना और भी मुश्किल होगा लेकिन उसे संभालने वाला कोई नहीं होगा क्योंकि ना तो राजधानी में ट्रैफिक एसपी है और न ही हटिया डीएसपी और ना ही सीसीआर डीएसपी. ऐसे में विधानसभा सत्र के दौरान राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था भगवान भरोसे ही रहेगी. हालांकि रांची के प्रभारी ट्रैफिक एसपी सौरभ के अनुसार राजधानी में वाहनों का भार इतना अधिक है कि से संभाल पाना बेहद मुश्किल है. यहां जब तक ओवरब्रिज और दूसरे तरह के साधन डेवलप नहीं किए जाएंगे जाम से निपटना काफी मुश्किल भरा रहेगा.