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पीटीपीएस आवास आवंटन घोटालाः ऊर्जा विभाग ने प्रशासक समेत तीन पदाधिकारियों को किया सस्पेंड - रांची में ऊर्जा विभाग ने तीन पदाधिकारियों को सस्पेंड किया

पतरातू थर्मल पावर स्टेशन (Patratu Thermal Power Station) के आवास आवंटन घोटाला में तीन पदाधिकारियों पर कार्रवाई की गाज गिरी है. ऊर्जा विभाग ने प्रकाशक समेत तीन पदाधिकारी को निलंबित तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.

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पीटीपीएस आवास आवंटन घोटाला

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Published : Oct 9, 2021, 7:23 PM IST

रांचीः पतरातू थर्मल पावर स्टेशन (Patratu Thermal Power Station) के आवास आवंटन घोटाले में फंसे पदाधिकारियों पर कार्रवाई हुई है. तीन आरोपी पदाधिकारियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए ऊर्जा विभाग ने तत्काल प्रभाव से तीनों को निलंबित कर दिया है.

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इस मामले को लेकर जिन पदाधिकारियों पर निलंबन की कार्रवाई हुई है, उसमें पीटीपीएस के प्रशासक एमपी यादव, संपदा पदाधिकारी विश्वनाथ प्रसाद सिंह और पत्राचार लिपिक मुनेश्वर प्रसाद सिंह का नाम शामिल है. झारखंड ऊर्जा विकास निगम (Jharkhand Energy Development Corporation) के कार्मिक विभाग के महाप्रबंधक सुनील दत्त खाखा के हस्ताक्षर से जारी पत्र में पीटीपीएस के प्रशासक एमपी यादव को निलंबित करते हुए जमशेदपुर मुख्यालय महाप्रबंधक कार्यालय में योगदान करने को कहा गया है. इसके अलावा संपदा पदाधिकारी विश्वनाथ प्रसाद सिंह को चाईबासा विद्युत अधीक्षण अभियंता कार्यालय में योगदान देने को कहा गया है.

2016 में हुई थी जांच गठित
पीटीपीएस स्थित सरकारी आवास अनियमितता मामले में विभाग को मिली शिकायत के बाद 29 जनवरी 2016 को जांच शुरू हुई थी. पूरे प्रकरण की जांच के बाद हाल ही में 4 अक्टूबर को जांच रिपोर्ट ऊर्जा विभाग को सौंपा गया था. इस बाबत गठित जांच समिति ने आरोपियों के विरुद्ध दोष को सही मानते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की थी. पूरे प्रकरण की जांच में प्रशासक एमपी यादव समेत संपदा पदाधिकारी विश्वनाथ प्रसाद सिंह और पत्राचार लिपिक मुनेश्वर प्रसाद सिंह की भूमिका सामने आई थी.

जांच समिति ने इन अधिकारियों का तत्काल स्थानांतरण और विभागीय कार्रवाई आरंभ करने की अनुशंसा की थी. पतरातू थर्मल पावर स्टेशन के सैकड़ों आवास समेत व्यावसायिक जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायतों के बाद उच्चस्तरीय जांच की गई थी, जांच में तमाम आरोप सत्य पाए गए. पदाधिकारियों पर मिलीभगत कर सरकार को लाखों की राशि का चूना लगाने का आरोप जांच के दौरान सही पाया गया.

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जांच में यह बात भी सामने आयी कि आवास जिनके नाम पर आवंटित हैं, उनके स्थान पर दूसरे लोग वहां काबिज हैं. ऐसे लोगों का पूरा नाम और पता तक दर्ज नहीं है और पिता अथवा पति का नाम छिपाकर वो रह रहे थे. मकान आवंटन की लेजर पुस्तिका में भी सिर्फ आवंटियों का नाम दर्ज है. यही नहीं, व्यावसायिक जमीन पर अवैध रूप से भी बड़े पैमाने पर निर्माण किया गया है. ऊर्जा विभाग के अवर सचिव अरूण प्रकाश सिंह ने पूरे मामले की जांच की थी.

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