रांची: आड्रे हाउस में चल रहे तीन दिवसीय जनजातीय दर्शन पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का समापन किया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा उपस्थित रहे. अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के अंतिम दिन आत्मा और पुनर्जन्म पर आधारित परिचर्चा हुई. इस सत्र में आदिवासियों के अपने समाज में आत्मा, मृत्यु और पुनर्जन्म के बारे में क्या धारणाएं हैं, मृत्यु के बाद क्या होता है? किस प्रकार अंतिम क्रिया की जाती है? इन सब पर विस्तार से विद्वानों ने अपने विचार रखें.
इस सेमिनार में बताया गया कि जनजातीय समाज के लोगों में सहचर जीवन व्यवस्था का महत्व है. यह इनके जीवन और दर्शन से जुड़ा हुआ है, इसलिए इससे हटकर कुछ सोचना वे पसंद नहीं करते है. वर्ग और प्रजाति के आधार पर सभी अलग-अलग हैं लेकिन कई अध्ययनों के आधार पर इस तरह की सहचर जैसी समानता सभी जगह के जनजातीय समाज में मिलती है.
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि पहली बार डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान ने इसका आयोजन हुआ है, जिसमें आदिवासी दर्शन पर मंथन किया गया. इससे प्राप्त ऐतिहासिक तथ्यों पर अनुभव का लाभ समाज को मिलेगा.