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झारखंड में क्षेत्रीय भाषाओं की हकीकत! राजनीति पूरी, ख्वाब अधूरा - Jharkhand news

झारखंड में आदिवासियों (Tribals in Jharkhand) और उनकी जनजातीय भाषाओं पर खूब राजनीति होती है (Politics on Tribal Languages). शिक्षा से लेकर रोजगार के वादे किए जाते हैं. लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि झारखंड के प्लस स्कूलों में क्षेत्रीय भाषा के एक भी शिक्षक(Regional Tribal Language Teacher) नहीं हैं. इन भाषाओं को लेकर रिसर्च पीएचडी करने वाले अभ्यर्थी आक्रोशित हैं. 9 भाषाओं से जुड़े रिसर्च स्कॉलर जल्द प्लस टू स्कूलों में नियुक्ति की मांग कर रहे हैं.

regional languages in plus two schools in Jharkhand
regional languages in plus two schools in Jharkhand

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Published : Aug 7, 2022, 5:27 PM IST

Updated : Aug 7, 2022, 5:40 PM IST

रांची:झारखंड में हमेशा से ही आदिवासियों और उनकी जनजातीय भाषाओं पर राजनीति (Politics on Tribal Languages) होती रही है. उनकी भाषाओं में शिक्षा की बात होती है रोजगार देने की बात होती है. योजना भी बनती है, लेकिन उन योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. झारखंड के प्लस टू स्कूलों में पाठ्यक्रम (Syllabus in Plus Two Schools of Jharkhand) में शामिल एक भी क्षेत्रीय जनजातीय भाषाओं के शिक्षक (Regional Tribal Language Teacher) नहीं हैं. जेएसएससी की ओर से प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति तो हो रही है, लेकिन इन विषयों में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

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प्रत्येक सत्र में हजारों विद्यार्थी राज्य के प्लस टू स्कूलों में (Plus Two Schools In Jharkhand) इन विषयों में नामांकित होते हैं और बिना पढ़े ही वह परीक्षा देते हैं. इधर जेएसएससी प्लस टू स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति को लेकर आवेदन आमंत्रित किया है, लेकिन इस आवेदन में भी जनजाति क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षकों (Regional Tribal Language Teacher) के लिए कोई नियुक्ति नहीं हो रही. ऐसे में इन भाषाओं को लेकर रिसर्च पीएचडी करने वाले अभ्यर्थी आक्रोशित हैं. इन भाषाओं को लेकर उच्च शिक्षा हासिल कर शिक्षक बनने की ख्वाब देखने वाले 9 भाषाओं से जुड़े रिसर्च स्कॉलर सरकार से जल्द से जल्द इन भाषाओं में भी प्लस 2 स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति की मांग कर रहे हैं.

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राज्य में लगभग 500 से अधिक प्लस टू स्कूल है और जनजातीय क्षेत्रीय भाषाओं में प्रत्येक सत्र में 30 से 45000 के बीच छात्र नामांकित होते हैं. लेकिन बिना शिक्षकों के ही यह लोग इन भाषाओं की पढ़ाई करते हैं. मैट्रिक- इंटरमीडिएट परीक्षा में शामिल होते हैं और अच्छे अंकों के साथ सफल भी होते हैं. अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसे विद्यार्थियों का कॉपियों की जांच किनके भरोसे होती है. क्योंकि राज्य में इन भाषाओं के शिक्षक हैं ही नहीं तो उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कौन करता है. यह भी एक बड़ा सवाल है.

झारखंड में स्कूली बच्चों की स्थानीय भाषा में पढ़ाई हो ही नहीं रही है. स्कूलों में पाठ्यक्रम के मुताबिक जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षक के पद झारखंड गठन के बाद से ही खाली हैं. सड़क से सदन तक यह मामला उठता रहा है, लेकिन इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया गया. बार-बार आंदोलन करने वाले अभ्यर्थियों को आश्वासन दिया गया. वहीं विधानसभा में भी प्रश्नकाल में मामले को लेकर उठाए गए प्रश्न के जवाब में भी सदस्यों को आश्वासन ही मिला है.

हालांकि अब राज्य सरकार कह रही है कि विद्यार्थियों के नामंकन की अनुपात को देखते हुए इन स्कूलों में जनजातीय क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षक दिए जाएंगे. इसे लेकर योजना तैयार की जा रही है. झारखंड में प्लस 2 स्कूलों में मुंडारी, हो, खड़िया, पंचपरगानिया, खोरठा, कुडुख, संथाली, कुरमाली, नागपुरी जैसे भाषाओं में शिक्षक हैं हीं नहीं. जबकि राज्य में इन भाषाओं को लेकर रिसर्च और पीएचडी करने वाले योग्यता धारी अभ्यर्थियों की कमी नहीं है. इसके बावजूद राज्य के प्लस टू स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो रही है. इधर वर्तमान में जेएसएससी की ओर से प्लस 2 स्कूलों में 11 विषयों के लिए शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई है. 25 अगस्त से इसके लिए आवेदन मांगे गए हैं.

Last Updated : Aug 7, 2022, 5:40 PM IST

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