रांची:राजधानी रांची में 1000 से ज्यादा साइबर अपराध (Cyber Crime) के मामले लंबित हैं. वहीं दूसरी तरफ नए मामले हर दिन सामने आ जा रहे हैं. पुलिस जब मामलों की तह तक पहुंचती है, तब उन्हें यह यह पता चलता है कि ठग झारखंड के बाहर के राज्यों में बैठकर कांड को अंजाम दिया है. ऐसे में जांच की गति धीमी पड़ जाती है. लगातार बढ़ते मामले और कांडों के अनुसंधान को लंबित होता देख रांची के सीनियर एसपी ने सिर्फ साइबर मामलों को सुलझाने के एक स्पेशल टीम का गठन किया. जिसे वन टीम का नाम दिया गया है.
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रांची के अलग-अलग थानों में दर्ज साइबर मामलों में कई ऐसे मामले हैं, जिनके तार एक राज्य से जुड़े हुए हैं. ऐसे में उस राज्य में अब अलग-अलग थानों की टीम अलग-अलग मामलों की जांच के लिए नहीं जाएगी, बल्कि एक ही टीम इन सभी मामलों को लेकर जांच के लिए जाएगी, ताकि पुलिस का खर्च भी कम हो और मैन पावर भी कम लगे. उदाहरण के लिए अगर रांची के अरगोड़ा, लोअर बाजार और कोतवाली के तीन मामलों में ठगी के तार पश्चिम बंगाल से जुड़े हैं तो वहां तीनों थानों के मामलों की डिटेल लेकर एक ही पुलिस पदाधिकारी पश्चिम बंगाल जाएंगे और तीनों मामलों से संबंधित मामलों की जानकारियां इकट्ठा कर वापस लौटेंगे.
चार राज्यों से जुड़े हैं ठगी के तार
साइबर मामलो की जांच में लगी टीम को कई जानकारियां हासिल हुई है. पुलिस की जांच में यह बात सामने आई है कि रांची में दर्ज साइबर मामलों का लिंक हरियाणा, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और राजस्थान जुड़ा हुआ है. साइबर मामलों की जांच कर रही विभिन्न थानों की विशेष टीम ने यह पाया है कि जिस सिमकार्ड का प्रयोग कर साइबर अपराधियों ने ठगी की वारदातों को अंजाम दिया है, उन सभी सिम को साइबर अपराधियों ने इन्हीं राज्यों से खरीदा है. इसके बाद उसे वहीं एक्टिव भी किया था. साथ ही इन्हीं राज्यों में बैठकर रांची के लोगों के खाते से पैसे उड़ाए गए हैं. विशेष टीम को यह भी जानकारी हासिल हुई है कि रांची में साइबर ठगी से जुड़े कुल का 90 प्रतिशत मामला इन्हीं राज्यों से जुड़ा है. ऐसे में उन सभी साइबर मामलों की सूची तैयार की गई है, जो बाहरी राज्यों से ताल्लुक रखते हैं. रांची पुलिस की विशेष टीम अब इन साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसेगी.
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