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सुदेश महतो ने सरकार पर किया हमला, सरकार की योजनाएं और तैयारियों पर किए सवाल

आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष और विधायक दल के नेता सुदेश कुमार महतो ने लॉकडाउन संकट में किसानों की दयनीय हालत पर चिंता जाहिर करते हुए सरकार की योजनाएं और तैयारियों पर सवाल उठाए हैं.

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Published : May 23, 2020, 11:28 PM IST

Sudesh mahto questions government, आजसू सुप्रीमो ने सरकार पर किया हमला
आजसू का लोगो

रांची: आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष और विधायक दल के नेता सुदेश कुमार महतो ने लॉकडाउन संकट में किसानों की दयनीय हालत पर चिंता जाहिर करते हुए सरकार की योजनाएं और तैयारियों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा की किसानो के कर्ज माफी का फैसला फाइल से निकलकर बैंकों तक कब पहुंचेगा.

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सुदेश महतो ने कहा कि किसानों की कर्जमाफी से सरकार मुंह क्यों मोड़ रही है, जबकि बजट में दो हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है. हालांकि यह प्रावधान कर्ज की तुलना में बेहद कम है. इसके बाद भी दो हजार करोड़ रुपए माफ कर देते, तो किसान दबाव से थोड़ी बहुत बच पाते.

सुदेश महतो ने असेंबली में उठाया था सवाल

सुदेश महतो ने कहा कि विधानसभा के बजट सत्र में 5 मार्च के अलपसूचित प्रश्न के जरिए उन्होंने किसानों की कर्जमाफी को लेकर सरकार की मंशा के बारे में पूछा था. जिसके जवाब में सरकार ने माना था कि राज्य के किसानों पर 7 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है. इसके बाद भी बजट में कर्जमाफी को लेकर महज 2000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. नई सरकार गठन के पांच महीने होने को हैं और बजट सत्र के ढाई महीने बीत रहे हैं, किसानों की कर्जमाफी को लेकर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए.

जबकि मार्च महीने में ही किसानों समेत पूरे राज्य को लॉकडाउन का सामना करना पड़ा है. आजसू अध्यक्ष ने कहा कि चुनाव के वक्त सत्तरूढ़ दलों ने खुद को किसानों और मजदूरों का सबसे बड़ा हिमायती बताया था.

किसान झेल रहे हैं परेशानी

सुदेश महतो ने कहा कि लॉकडाउन में राज्य के कई इलाकों में किसानों की खेतों में सब्जियां और फल की पैदावार अच्छी हुई, लेकिन खरीदार नहीं मिलने की वजह से वे आंसू पीकर रहने को विवश हैं. हाट- बाजार बंद हैं. सरकार की वेजफेड योजना भी प्रभावकारी नहीं हो पा रहे हैं. किसानों ने बड़े पैमाने पर धान बेचे हैं, तो लैंपस और सहकारी समितियों से समय पर पैसे के भुगतान नहीं किए जा रहे हैं.खेती को आगे बढ़ाने और घर- परिवार की आर्थिक स्थिति संभालने के लिए किसानों के खाते में तत्काल पैसे भेजे की जरूरत थी. पूर्व सरकार की वह योजना भी बंद कर दी गई.

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