नई दिल्लीः बाबूलाल मरांडी मामले में झारखंड हाई कोर्ट के फैसले को संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा है कि यह उनके लिए बड़ी राहत है. उन्होंने कहा कि दलबदल के मामले में न्यायपालिका हस्तक्षेप कर सकती है.
दलबदल मामले में विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस पर कोर्ट की रोक के बारे में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि आमतौर पर संविधान में प्रावधान है कि विधानसभा की कार्यवाही और कार्य प्रणाली में कोर्ट नहीं हस्तक्षेप नहीं कर सकता है. लेकिन दलबदल का जो मामला है, उसमें जो स्पीकर को पावर दिए गए हैं वो प्रेसी ज्यूडिशियल पावर हैं. उसमें स्पीकर को क्वेसी ज्यूडिशियल अथॉरिटी माना जाता है. ऐसी स्थिति में उनके सारे निर्णय ज्यूडिशियल रिव्यू के विषय होते हैं. ऐसी परिस्थिति में यह कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में आता है कि वो स्पीकर के फैसलों पर रोक लगा सके, बदल सके.