रांची: पूरा देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मना रहा है. पहली बार ऐसा हुआ है कि झारखंड की सरकार ने उनकी जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित किया है. नेताजी हर भारतीय की प्रेरणा है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि नेताजी का रांची से भी नाता रहा है.
नेताजी जयंती विशेष: सुभाष चंद्र बोस की यादों को संजोकर रखा है रांची का आयकट परिवार
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को पूरे देश में मनाया जाती है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि नेताजी का रांची से भी नाता रहा है. मार्च 1940 में रामगढ़ अधिवेशन में शामिल होने से पहले वह रांची के लालपुर स्थित फणींद्र आयकट के यहां रुके थे.
मार्च 1940 में रामगढ़ अधिवेशन में शामिल होने से पहले वह रांची के लालपुर स्थित फणींद्र आयकट के यहां रुके थे. तब फणींद्र आयकट ब्रिटिश सरकार में कांट्रेक्टर थे. यह जानते हुए कि अंग्रेज नेताजी को पसंद नहीं करते हैं, उन्होंने नेताजी को अपने यहां ठहराया था. इस पर अंग्रेजों ने उनसे कई सवाल किए थे. जिसके बाद उन्होंने अंग्रेजो की तरफ से मिलने वाली राय बहादुर की उपाधि भी लेने से इनकार कर दिया था.
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फणींद्र आयकट के पोते विष्णु आयकट ने बताया कि उन्होंने अपने घर में नेताजी के आगमन से जुड़ी कहानियां अपनी दादी से सुनी है. इस परिवार ने आज भी उस इजी चेयर को संभाल कर रखा है, जिस पर नेताजी बैठा करते थे. विष्णु आयकट ने उन तस्वीरों को साझा किया, जिसे नेताजी के रांची आगमन के बाद उनके परिवार के साथ ली गई थी. विष्णु आयकट ने बताया कि उनके दादाजी ने ही रांची क्लब, जेपीएससी भवन और रांची लोहरदगा रेल लाइन के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन नेताजी को ठहराने के कारण अंग्रेजों के साथ उपजे विवाद की वजह से उन्होंने अंग्रेजों का काम करना भी छोड़ दिया था.