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रांची के 569 स्कूल में 30 से भी कम बच्चे, आठ हजार स्कूलों में शिक्षकों के पद सृजित करने की तैयारी - झारखंड अभिभावक संघ

कोरोना महामारी के कारण शिक्षा व्यवस्था (Education System) पर व्यापक असर पड़ा है. झारखंड के स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या घटती जा रही है. राजधानी रांची में ही 569 ऐसे स्कूल हैं जिनमें 30 से भी कम बच्चे हैं.

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बच्चे

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Published : Jul 24, 2021, 2:33 PM IST

रांची: सूबे के 4,896 स्कूलों में 30-30 से भी कम विद्यार्थी हैं. कोरोना महामारी के कारण नामांकन की रफ्तार में इतनी धीमी है कि कई स्कूलों में तो विद्यार्थी नामांकन के लिए आए ही नहीं हैं. इधर राज्य सरकार आठ हजार स्कूलों में शिक्षकों के पद सृजित करने की तैयारी है.

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प्राथमिक स्कूल में पहली से पांचवी तक की पढ़ाई होती है. ऐसे में 30 से कम छात्र-छात्राओं वाले स्कूलों में प्रति कक्षा 5 -6 छात्र ही हैं. यही 10+2 स्कूलों का भी है. राज्य भर में 27 ऐसे स्कूल हैं. जहां 30 से कम छात्र-छात्राएं हैं. इस आधार पर प्रति क्लास से 7-8 छात्र के ही नाम पंजीकृत हैं. जिला शिक्षा कार्यालय की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक 30 से कम छात्र-छात्राओं की बात करें तो सबसे ज्यादा रांची में ऐसे 569 स्कूल हैं. इसके बाद बोकारो में 363 पूर्वी सिंहभूम में 354 और दुमका में 348 स्कूलों में बच्चों की संख्या 30 से भी कम है.

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ड्रॉपआउट बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था


इधर, ड्रॉपआउट बच्चे (Dropout Students) या फिर स्कूली शिक्षा से वंचित बच्चों को प्रशिक्षित कर स्कूल में नामांकन किए जाने को लेकर एक योजना बनाई गई है और इसी की तैयारी के लिए सेतु गाइड का भी चयन किया गया है. हालांकि आपदा प्रबंधन विभाग (Disaster Management Department) के पास इसे लेकर प्रस्ताव भेजा गया है. अनुमति मिलने के बाद इस पर काम किया जाएगा.

स्कूल विलय का प्रस्ताव किया जा सकता है तैयार

दक्षिणी छोटानागपुर के शिक्षा उप निदेशक अरविंद विजय बिलुंग से जब मामले को लेकर बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि राज्य के 4,896 प्राथमिक मध्य 10+2 2 स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या नहीं बढ़ी तो आने वाले समय में सरकार की ओर से एक बार फिर स्कूल विलय का प्रस्ताव तैयार किया जा सकता है. यह वैसे स्कूल हैं जहां सामान्य दिनों में भी नामांकन की स्थिति कम रहती है. राज्य की पूर्ववर्ती सरकार ने वैसे 7,000 स्कूल को जहां 10-20 से कम छात्र छात्रा थे, उनका विलय 2017 -19 के बीच किया था.

झारखंड अभिभावक संघ ने किया सवाल


इन मामलों को लेकर झारखंड अभिभावक संघ (Jharkhand Parents Association) ने भी सवाल खड़ा किया है. झारखंड अभिभावक संघ (Jharkhand Parents Association) की मानें तो शिक्षा में सुधार के सरकारी दावों की पोल धीरे-धीरे खुल रही है. राज्य सरकार अन्य चीजों के प्रति चिंतित दिखती है लेकिन शिक्षा के प्रति जो जिम्मेदारी निभाना चाहिए, वह जिम्मेदारी सरकार नहीं निभा रही है.

शिक्षकों के पद सृजन को लेकर सरकार गंभीर

हालांकि राज्य में प्राथमिक से माध्यमिक विद्यालयों में अपग्रेड किए गए लगभग 8,000 स्कूलों में शिक्षकों के पद सृजित किए जाने को लेकर एक बार फिर स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग (School Education Literacy Department) रेस दिख रही है. जानकारी के मुताबिक प्राथमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से इस लेकर प्रक्रिया तेज की है. कम से कम एक विद्यालय में 3 शिक्षकों का होना अनिवार्य किया गया है और इसे लेकर प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद को एक पत्र भी लिखा है.

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