रांचीः झारखंड रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण फॉरेंसिक विज्ञान के छात्र अविनाश कुमार ने टच डीएनए पर एक शोध किया है. यह शोध राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला में प्रशिक्षण प्राप्त करने के दौरान किया गया. उन्होंने अपने प्रयोग में अपने दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले वस्तुओं को सैंपल के तौर पर इस्तेमाल किया गया, जिसमें कुछ कपड़े, मास्क, मोबाइल, फोन ,कंघी, ब्रश और जूते थे.
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उन्होंने बताया कि यह वस्तुएं प्राय हमारे शरीर के साथ प्रत्यक्ष तौर पर संपर्क में रहती हैं. इससे हमारे शरीर के टूटने वाली कोशिकाएं इसमें चिपक जाती है और इसी परिकल्पना के साथ शोधार्थी ने अपना शोध किया. इसमें उन्होंने आरटी पीसीआर तकनीक के साथ डीएनए का मूल्यांकन किया और पाया कि इन सभी सैंपल से डीएनए प्राप्त किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि आजकल टच डीएनए पर कार्य करने के लिए बहुत आधुनिक तरह के उपकरण उपलब्ध हैं जो इस कार्य को और आसान बनाते हैं.
यह शोध अपने आप में आपराधिक मामलों में मील का पत्थर साबित हो सकती है. ऐसे अपराधों में जहां अपराधी की किसी भी प्रकार का बायोलॉजिकल सैंपल नहीं मिलता है. उस परिस्थिति में ऐसे साक्ष्यों को पुलिस को एकत्रित करना चाहिए और इस में डीएनए का परीक्षण किया जाना चाहिए जिससे अपराधी की पहचान साबित की जा सकती है. अविनाश कुमार ने यह भी बताया कि वह इस शोध से जुड़े महत्व को झारखंड के शीर्ष पुलिस अधिकारियों के साथ साझा करेंगे. इसकी उपयोगिता को बताएंगे जिससे आपराधिक न्याय प्रणाली में विषम परिस्थितियों में न्याय मिलने में सहायता होगी.
फिलहाल अविनाश कुमार फॉरेंसिक विज्ञान स्नाकोतर के छात्र हैं. वह अपनी स्नातक तक की शिक्षा रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय झारखंड से उत्तीर्ण करने के बाद अपनी आगे की शिक्षा डॉ हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश में प्राप्त कर रहे हैं. उनके इस कार्य को राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक अरुण कुमार बापूली समेत तमाम अधिकारियों ने सराहनीय और प्रशंसनीय बताया.