रांची: लॉकडाउन पार्ट 2 की मियाद तीन मई तक है. इस बीच गृह मंत्रालय के ताजा गाइडलाइन से राज्य सरकारों के दम फूलने लगे हैं. गाइडलाइन के मुताबिक कुछ शर्तों का पालन करते हुए तमाम राज्य सरकारें दूसरे राज्यों में फंसे अपने छात्रों, मजदूरों और पर्यटकों को वापस ला सकती हैं. हालांकि मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि इस काम के लिए रेलवे से सहयोग अपेक्षित है. दूसरी तरफ झारखंड में फंसे लोगों को उनके राज्य तक पहुंचाने के लिए भी कोआर्डिनेशन स्थापित करना है जिसके लिए नोडल पदाधिकारी चिन्हित कर दिए गए हैं. इस सिलसिले में झारखंड बस ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह से खास बातचीत की.
3,500 हैं अंतर्राज्यीय स्तर की बसें
पूरे झारखंड में करीब 3,500 बसें हैं जो दूसरे राज्य तक जा सकती हैं लेकिन सभी बसों को भेजने से पहले कुछ विशेष व्यवस्था करनी होगी. एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह ने कहा कि फिलहाल 3,500 बसों में से करीब 1,750 बसों के चालक और खलासी दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं. पहले तो उनको लाने की व्यवस्था करनी पड़ेगी. उसके बाद सरकार को बस ओनर के साथ रेट तय करना पड़ेगा. यह भी देखना होगा कि कितने बसों के चालक इसके लिए तैयार होंगे.
बसों में सोशल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित करने की रूपरेखा भी बनानी होगी यानी कि एक बस में करीब 20 से 25 लोगों को लाया जा सकता है. इस हिसाब से अगर सभी 3,500 बसों का इस्तेमाल होगा तो एक ट्रिप में करीब 87,000 लोगों को लाया जा सकेगा.