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छोटे शहरों में गरीब भी सस्ते किराए के मकान ले सकेंगे, राज्य सरकारों को करनी होगी मदद

छोटे शहरों में रह रहे गरीब भी अब सस्ते किराए के मकान हासिल कर पाएंगे और झुग्गियों के विस्तार जैसी समस्याओं से ऐसे शहरों को निजात मिल सकेगी. इसके लिए राज्य सरकारों को मदद करनी होगी .

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Published : Sep 17, 2020, 1:09 AM IST

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राज्यसभा

रांची: राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों और सुझावों पर अमल किया तो महानगरों में प्रवासी श्रमिकों के समक्ष आवास की समस्या नहीं रहेगी और कोरोना जैसी आपात स्थिति में उनके सामने अपने गांव लौटने की मजबूरी नहीं होगी. छोटे शहरों में रह रहे गरीब भी अब सस्ते किराए के मकान हासिल कर पाएंगे और झुग्गियों के विस्तार जैसी समस्याओं से ऐसे शहरों को निजात मिल सकेगी.

समस्याओं को ध्यान में रखकर शुरू की गई योजना

शहरी प्रवासियों/गरीबों को किफायती दर पर आवास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 31 जुलाई को प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के अंतर्गत शुरू की गई अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग कॉम्पलेक्स (एआरएचसी) उप-योजना इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखकर शुरू की गई है.

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राज्यसभा में सांसद महेश पोद्दार के एक अतारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए आवासन और शहरी कार्य राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) शहरदीप सिंह पुरी ने यह जानकारी दी.

क्या कहा शहरदीप सिंह पुरी ने

उन्होंने बताया कि सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (MoU) सर्कुलेट किया गया है ताकि वो आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के साथ करार कर सकें. इस योजना पर अमल के लिए निकायों को एक निश्चित रियायत दी जाएगी. ऐसे निकायों/रियायतग्राही का चयन करने के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ मॉडल रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) साझा की गई है, ताकि पीपीपी मोड पर रिपेयर/रेट्रोफिट, डेवेलप, ऑपरेट एंड ट्रांसफर (आरडीओटी) के तहत 25 वर्ष की अवधि के लिए सरकार की ओर से वित्तपोषित खाली पड़े मौजूदा आवासों को एआरएचसी के रूप में विकसित किया जा सके. राज्य/संघ राज्य क्षेत्र/यूएलबी अभिरूचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) के माध्यम से सार्वजनिक/निजी निकायों को अपनी खुद की खाली पड़ी भूमि पर एआरएचसी के निर्माण के लिए उन्हें सूचीबद्ध करते हैं.

एआरएचसी योजना

एआरएचसी योजना दिशा-निर्दशों के अनुसार, लाभार्थियों की मैपिंग और पहचान की जिम्मेदारी निकायों की है. निकाय क्षेत्र में आवास उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय उद्योगों, विनिर्माण, सेवा प्रदात, शिक्षा, स्वास्थ्य संस्थाएं, बाजार एसोसिएशन, रोजगार करने वाले अन्य शहरी प्रवासी गरीब से संपर्क कर सकते हैं और जैसा उन्हें उचित लगे, वो अपने वेतन/फीस/किसी प्रकार के पारिश्रमिक से सीधे किराए का भुगतान कर सकते हैं. राज्य/संघ राज्य क्षेत्र/यूएलबी/पैरास्टेटल फैक्ट्रियों, उद्योगों/संस्थाओं में काम करने वाले प्रवासियों को किराये पर आवास दिलाने के लिए निकाय/रियायतग्राही और सार्वजनिक/निजी निकायों के बीच तालमेल स्थापित करने में मदद करेंगे, ताकि आजीविका और निरंतर राजस्व सुनिश्चित हो सके.

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जीवन में बदलाव आएगा

बता दें कि झारखंड सरकार ने शहरी क्षेत्र के श्रमिकों के लिए मुख्यमंत्री श्रमिक योजना शुरू की है. इस कड़ी में सरकार की पहल से अगर गरीबों को रियायती दर पर किराये के मकान मिलेंगे तो उनके जीवन में बदलाव आएगा.

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