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रिसर्च के मामले में अग्रणी विवि बनेगा डीएसपीएमयू, कई नए कोर्स की हुई है शुरुआत

रांची के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में नए कोर्स की शुरुआत की गई है. हालांकि इन कोर्सेस को संचालित करने में विश्वविद्यालय प्रबंधन को परेशानी हो रही है. विश्वविद्यालय प्रबंधन रिसर्च को लेकर भी लगातार काम कर रहा है. लेकिन इस दिशा में सरकार के उच्च शिक्षा विभाग की ओर से विश्वविद्यालय प्रशासन को अब तक सहायता नहीं मिल पाई है.

Start of new courses in DSPMU
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय

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Published : Nov 23, 2020, 1:56 PM IST

रांचीः राजधानी के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में इस सेशन से कई नए कोर्स की शुरुआत की गई है. हालांकि, कोविड-19 के कारण इन कोर्स को संचालित करने में विश्वविद्यालय प्रबंधन को परेशानी जरूर हो रही है. ऑनलाइन क्लासेस शत-प्रतिशत नहीं होने के कारण विद्यार्थियों को इसका लाभ पूरी तरीके से नहीं मिल पा रहा है. रिसर्च के मामले में भी यह विश्वविद्यालय ऑफलाइन तरीके से एक्टिविटीज करने को लेकर तैयारी कर रही है.

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डीएसपीएमयू में इस सेशन से फिल्म मेकिंग, मास कम्युनिकेशन, डॉक्यूमेंटेशन सेंटर जो कि इंडिजिनियस लैंग्वेज पर काम होगा, इसकी भी शुरुआत हो चुकी है. वहीं, विद्यार्थियों की डिमांड को देखते हुए पहली बार इस विश्वविद्यालय में कॉमर्स की पढ़ाई हो रही है. इसके अलावा ओड़िया सब्जेक्ट पर विश्वविद्यालय की ओर से रिसर्च करवाया जा रहा है. इसे लेकर राज्य सरकार को पोस्ट क्रिएशन और ग्रांट के लिए आवेदन दिया गया है लेकिन इस दिशा में सरकार के उच्च शिक्षा विभाग की ओर से विश्वविद्यालय प्रशासन को अब तक सहायता नहीं मिल पाई है.

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डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय रिसर्च को लेकर लगातार काम कर रही है. माइनर प्रोजेक्ट पर भी काम हो रहा है. इसके साथ ही सेमिनार कॉन्फ्रेंस से संबंधित योजनाएं बनाकर विद्यार्थियों के हित में फैसले लिए जा रहे हैं, लेकिन कोविड-19 के कारण योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में परेशानियां आ रही है. नए कोर्स तो शुरू कर दिए गए लेकिन इन कोर्स के संबंध में विद्यार्थियों तक जानकारी देने में भी कोविड-19 आड़े आ रही है. ऐसी कई योजनाएं हैं जो विश्वविद्यालय फिलहाल पूरा करने में असफल साबित हो रही है.

ऑनलाइन पठन-पाठन पहुंचाने की हर संभव कोशिश

विश्वविद्यालय लगातार विद्यार्थियों के हित में फैसले ले रहे हैं और उन तक ऑनलाइन पठन-पाठन पहुंचाने की कोशिश भी की जा रही है. हाल ही में विश्वविद्यालय की ओर से ऑनलाइन पठन-पाठन के लिए एक सॉफ्टवेयर भी परचेस किया गया है लेकिन सही तरीके से इंस्टॉलेशन और तकनीकी परेशानियों के कारण विद्यार्थियों तक शत-प्रतिशत ऑनलाइन पठन-पाठन पहुंचाने में कामयाब विश्वविद्यालय प्रबंधन नहीं हो रहा है. विश्वविद्यालय के वीसी एसएन मुंडा की मानें तो एकेडमिक्स एक्टिविटी का माहौल बनाने की कोशिश लगातार की जा रही है. रिसर्च जोनल भी प्रोग्रेस पर है. जल्द ही विश्वविद्यालय में एक टीम गठित कर बेहतरीन तरीके से काम किया जाएगा.

कई विश्वविद्यालयों के साथ ऑनलाइन रिसर्च

हालांकि, ऑनलाइन तरीके से यह विश्वविद्यालय देश के कई बड़े विश्वविद्यालयों के साथ जुड़कर ऑनलाइन रिसर्च पर काम कर रही है. आने वाले समय में विश्वविद्यालय रिसर्च के मामले में झारखंड के अग्रणी विश्वविद्यालयों में शुमार होगा और इसका प्रयास विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से लगातार किया जा रहा है. विश्वविद्यालय के वीसी कहते हैं कि फंड की कमी जरूर है लेकिन 12वां ग्रांट मिलने के बाद धीरे-धीरे अब फंड भी मिल रहा है. शिक्षकों की कमी की मार विश्वविद्यालय गठन के बाद से ही झेल रही रही है. इस दिशा में भी विश्वविद्यालय की ओर से उच्च शिक्षा विभाग, राज्य सरकार से जल्द से जल्द शिक्षकों की नियुक्तियां करने को लेकर आवेदन दिया गया है.

यह विश्वविद्यालय निरंतर विद्यार्थियों के बेहतरी के लिए काम करता रहा है. छोटा विश्वविद्यालय होने के बावजूद इस विश्वविद्यालय में तमाम वह कोर्स संचालित किए जा रहे हैं जो उच्च शिक्षा के लिए बेहतर हैं इससे विद्यार्थियों को अन्य राज्यों में पलायन नहीं करना पड़ेगा. इस दिशा में राज्य सरकार को ध्यान देते हुए शिक्षकों की नियुक्ति पर जोर देने की जरूरत है.

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