रांचीः पंचम झारखंड विधानसभा के तहत आहूत षष्ठम मानसून सत्र का समापन गुरुवार शाम हो गया और सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई. मानसून सत्र के 5 दिन के कार्यदिवस में सदन में हंगामे के बीच अनुपूरक बजट पेश किया गया, कई विधेयक पारित हुए.
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झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के समापन पर विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो ने इस व्यवस्था में लगे सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि इस छोटे से सत्र में कुल 388 प्रश्न स्वीकृत हुए. अलग-अलग विभागों से 300 प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हुए, 14 विभागों ने ऑनलाइन माध्यम से प्रश्नों के जवाब दिए. इस सत्र में विनियोग विधेयक समेत कुल 8 विधेयक पारित हुए.
सदस्यों के आचरण से दुखी स्पीकर
मानसून सत्र में हंगामे को लेकर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन लोकतंत्र का एक पवित्र स्थल है, यह ऐसी जगह है जहां से पूरे राज्य की जनता के प्रति सरकारी मिशनरी को उत्तरदायी और संवेदनशील बनाया जाता है. लेकिन सदन में अनावश्यक व्यवधान के कारण कार्य प्रभावित हो रहा है.
स्पीकर ने कहा- सबसे ज्यादा मुझ पर प्रहार स्पीकर रवींद्र नाथ महतो ने कहा कि एक उम्मीद थी कि सदन में जो जनप्रतिनिधि हैं वह अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं को रखेंगे और उस समस्याओं को सरकार के पक्ष रखा जाएगा. लेकिन इस सदन में जैसा मैंने सोचा वैसा नहीं हो पाया. सदन के अंदर कई दलों के माननीय सदस्य थे, पर विशेष दल की ओर से सबसे ज्यादा प्रहार आसन पर दिखा. सदन के अंदर अध्यक्ष का यह काम होता है कि जो बातें सदन में आती हैं, उसे सरकार के समक्ष रखा जाए और उस काम को कराया जाए.
उन्होंने कहा कि सदन के अंदर माननीय सदस्यों के आचरण से मैं भी व्यथित था. जहां तक संसदीय आचरण का सवाल है मैं क्या लोकतंत्र कोई आदमी सही नहीं कह सकता. लेकिन पक्ष हो या विपक्ष हो यह मेरे ही विधानसभा के सदस्य हैं, इसलिए उनकी हर चीजों को मुझे झेलना पड़ा और चुनौतियों के साथ 5 दिनों का यह सदन को संपन्न कराना पड़ा.
स्पीकर ने कहा नमाज रूम पर कोई विवाद नहीं