रांची: झारखंड में संचालित मनरेगा का सोशल ऑडिट (Social Audit of MGNREGA) एक अक्टूबर से बहाल हो गया है. साल 2021-22 के लिए चालू हुई योजनाओं का सोशल ऑडिट फिलहाल 500 पंचायतों में किया जा रहा है. प्रथम चरण में उन पंचायतों को लिया गया है, जहां अधिकतम मानवदिवस सृजित हुए हैं. यह प्रक्रिया ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के एनुअल मास्टर सर्कुलर के दिशा निर्देश और मानदंडों के अनुरूप है और इससे काम के दौरान ही समस्याओं के समाधान और आवश्यक हस्तक्षेप करने में क्रियान्वयन एजेंसी को सहयोग मिलेगा .
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समय पर भुगतान सुनिश्चित हो पाएगा
कंकरेंट सोशल ऑडिट यानी समवर्ती सामाजिक अंकेक्षण का मतलब है योजनाओं के क्रियान्वयन के दौरान ही सामाजिक निगरानी सुनिश्चित करना. ऐसा होने से योजना में गड़बड़ी की गुंजाइश पर लगाम लगती है. साथ ही समय पर समुदाय को उनके हक और अधिकार की जानकारी दी जाती है ताकि वह खुद अपने हित के लिए चलाई जा रही योजनाओं की समीक्षा कर सकें. इस व्यवस्था के बाहर होने से मनरेगा में कार्य करने के लिए मजदूरों को प्रोत्साहित किया जा सकेगा और उनकी शिकायतों का समय पर समाधान होगा. कार्यस्थल पर जरूरी सुविधा उपलब्ध होगी. निर्माणाधीन संरचना की उपयोगिता और गुणवत्ता प्राक्कलन के अनुरूप होगा. सबसे खास बात यह है कि मजदूरों को समय पर भुगतान सुनिश्चित हो पाएगा.