रांचीः झारखंड की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी न के बराबर नजर आती है. पुरुषों के मुकाबले आज भी भारतीय राजनीति में महिलाओं का चेहरा बहुत ही कम दिखाई पड़ता है. ऐसे में प्रदेश की 81 विधानसभा सीटों में सिल्ली एक हॉट सीट मानी जाती है. जून 2018 में हुए उपचुनाव के दौरान सीमा महतो ने अपने पति की प्रतिष्ठा बचाते हुए जीत दर्ज की और फिलहाल विधायक है. ईटीवी भारत की टीम ने सीमा महतो से उनके राजनीतिक सफर के बारे में जाना.
विधायक सीमा महतो से खास बातचीत दरअसल इस सीट पर राज्य गठन के बाद से लेकर 2009 तक हुए विधानसभा चुनाव में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो लगातार जीतते आए हैं. 2014 में राजनीतिक समीकरण बदला और झारखंड मुक्ति मोर्चा के अमित महतो ने आजसू सुप्रीमो को लगभग 30 हजार वोटों से पटकनी दी.
विधायक सीमा महतो से खास बातचीत हालांकि एक स्थानीय अदालत ने 2 वर्षो की सजा मिलने के बाद अमित महतो को झारखंड विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार ठहराया और उनकी सदस्यता चली गई. उसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी सीमा महतो को सिल्ली विधानसभा सीट से सुदेश महतो के खिलाफ उतारा. जून 2018 में हुए उपचुनाव के दौरान सीमा महतो ने अपने पति की प्रतिष्ठा बचाते हुए जीत दर्ज की और विधायक बनी.
पति का मिला पूरा साथ
अनगड़ा, राहे, सोनाहातू, सिल्ली जैसे इलाकों में बंटे इस विधानसभा क्षेत्र में एक तरफ जहां महतो वोटर की संख्या है. वहीं दूसरी तरफ कुछ पॉकेट ट्राइबल वोटर्स का भी है. मौजूदा विधायक सीमा महतो का दावा है कि उनके पति और सिल्ली के पूर्व विधायक अमित महतो ने अपने विधायक निधि का भरपूर उपयोग किया. उनके बाद मौजूदा विधायक ने भी अपने विधायक फंड का पूरा पैसा सिल्ली के विकास के लिए खर्च किया. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में लोग उन्हें दोबारा मौका जरूर देंगे.
कठिन टास्क है
एक सवाल के जवाब में सीमा महतो मे कहा कि 2018 में हुए उपचुनाव में उम्मीदवार बनना एक कड़ी परीक्षा थी और परिवार और लोगों के समर्थन के कारण ही उन्हें सफलता मिली. उन्होंने कहा कि अभी वो न केवल एक जनप्रतिनिधि हैं बल्कि 5 महीने के बेटे की मां, एक पत्नी और एक बहू की जिम्मेदारी भी निभा रही हैं. जो अपने आप में एक कठिन टास्क है.
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जीत का दावा करना होगा ओवरकॉन्फिडेंस
सिल्ली विधायक सीमा महतो ने कहा कि उनके मन में किसी तरह का मलाल नहीं है कि उन्हें कम समय मिला और इसमें उन्हें परफॉर्म करना पड़ा. उन्होने कहा कि जीत के प्रति दावा करना ओवरकॉन्फिडेंस होगा. उन्होंने कहा कि उनकी जिम्मेदारी एक जनप्रतिनिधि के रूप में अपनी भूमिका ईमानदारी से निभाना है और इस जिम्मेदारी को निभाने की हर संभव कोशिश कर रही हैं.