रांची: डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय प्रबंधन इन दिनों शिक्षकों की कमी के कारण काफी परेशानियों का सामना कर रहा है. यूनिवर्सिटी गठन होने के बाद लगभग 3 साल बीत गए हैं. अभी भी शिक्षकों की भारी कमी इस विश्वविद्यालय में है. मात्र 58 टीचर के भरोसे विश्वविद्यालय संचालित हो रहा है जबकि 300 से अधिक पोस्ट इस विश्वविद्यालय में है. मानव संसाधन विभाग की उपेक्षा का शिकार यह विश्वविद्यालय हो रहा फिलहाल है.
डीएसपीएमयू में शिक्षकों की भारी कमी है लगातार इस मामले को लेकर पत्राचार किया जा रहा है, लेकिन मानव संसाधन विभाग की ओर से अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गयी है. डीएसपीएमयू प्रबंधन की ओर से 210 पोस्ट भरे जाने को लेकर 2 साल पहले विभाग को जानकारी दी गई थी लेकिन विभागीय स्तर पर कोई पहल नहीं हुई है.
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रांची यूनिवर्सिटी से अलग कर डीएसपीएमयू बनाया गया और विवि बने 3 साल बीत गये हैं, लेकिन अब तक शिक्षकों की कमी की मार यह विश्वविद्यालय झेल रहा है. सैंक्शन पोस्ट की सूची मानव संसाधन विकास विभाग को भेजने के बाद भी पोस्ट सैंक्शन नहीं किए गए हैं. फिलहाल डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के पास मात्र 58 कॉलेज टीचर हैं और उसी के भरोसे पूरे विश्वविद्यालय संचालित हो रहा है.
एक भी प्रोफेसर इस विश्वविद्यालय में नहीं है. यह एक बड़ी चिंता का विषय है. नए पुराने सब्जेक्ट में टीचर की भारी कमी है. बैकलॉग नियुक्ति भी अब तक नहीं हुई है. इन कमियों के बावजूद विश्वविद्यालय अपने स्तर पर दिसंबर में टीचर बहाली के लिए इंटरव्यू करेगी और शिक्षकों को नियुक्त किया जाएगा. विश्वविद्यालय प्रबंधन की मानें तो यूजीसी के नॉर्म्स को पूरा करने में कई परेशानियां आ रही हैं. रिसर्च में परेशानी है. 12b मानकों को पूरा करने में भी कई परेशानियों का सामना इस विश्वविद्यालय को करना पड़ रहा है.
मानव संसाधन विकास विभाग के रवैये से वीसी हैं आहत
हालांकि 12b मानक देने के लिए सहमति प्रदान की गई है. जल्द ही विश्वविद्यालय को अपने स्तर पर फंड मिलेगी और इसी फंड के आधार पर शिक्षकों का इंटरव्यू होगा और बहाली भी की जाएगी. लेकिन राज्य सरकार के स्तर पर अब तक इस विश्वविद्यालय को कोई सहायता नहीं पहुंचाई गई है. जिससे विश्वविद्यालय के वीसी एसएनमुंडा काफी आहत हैं. उनका कहना है कि इस नए विश्वविद्यालय की ओर ध्यान नहीं दिया गया है.