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मैनपावर की कमी से जूझ रहा है झारखंड का खान एवं भूतत्व विभाग, कैसे बढ़ेगा राजस्व?

झारखंड का खान एवं भूतत्व विभाग मैनपावर की भारी कमी से जूझ रहा है. इस विभाग में 935 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से सिर्फ 294 पदों पर अधिकारी-कर्मचारी सेवारत हैं. यानी 70 प्रतिशत से ज्यादा पद खाली हैं.

Department of Mines and Geology of Jharkhand
Department of Mines and Geology of Jharkhand

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Published : Mar 24, 2021, 3:11 PM IST

रांची: झारखंड की पहचान जल, जंगल और जमीन के अलावा इसकी धरती में समाए खनिज भंडारों की वजह से होती है. झारखंड को सबसे ज्यादा राजस्व कोयले से मिलता है. दूसरे स्थान पर है लौह अयस्क. झारखंड के तेरह जिलों में कोयले की खदाने हैं, जहां देश की कुल भंडार का 26 प्रतिशत कोयला है. जबकि देश का 90 प्रतिशत कोकिंग कोल भंडार भी इसी राज्य में है. झारखंड में लौह अयस्क भंडार की उपलब्धता देश के कुल भंडार का 23.5 प्रतिशत है. झारखंड में खनिजों का अन्वेषण, भंडार और ग्रेड के निर्धारण के अलावा खनन पट्टों की स्वीकृति और राजस्व संग्रहण की जिम्मेदारी खान एवं भूतत्व विभाग की है. लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में 5165.82 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2020-21 में 15 मार्च तक 4306.54 करोड़ का राजस्व संग्रह करना वाला यह विभाग मैन पावर की कमी से जूझ रहा है.

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झारखंड का खान एवं भूतत्व विभाग

70 प्रतिशत से ज्यादा पद खाली

खान एवं भूतत्व विभाग के अधीन दो निदेशालय काम करते हैं. पहला है खान निदेशालय और दूसरा है भूतत्व निदेशालय. खान एवं भूतत्व विभाग को सचिव या खान आयुक्त हेड करते हैं. इनके अधीन दो संयुक्त सचिव, दो उपसचिव और दो अवर सचिव होते हैं. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि खान निदेशालय में राजपत्रित पदाधिकारियों के लिए स्वीकृत 67 पद की तुलना में सिर्फ 22 पदाधिकारी ही सेवारत हैं. वहीं अराजपत्रित के 373 स्वीकृत पद की तुलना में महज 131 लोग कार्यरत हैं. भूतत्व निदेशालय में स्थिति कमोबेश इससे भी ज्यादा चिंताजनक है. भूतत्व में राजपत्रित पदाधिकारियों के 123 पद स्वीकृत हैं. इसकी तुलना में सिर्फ 43 पदाधिकारी कार्यरत हैं. इसी तरह अराजपत्रित कर्मियों के 372 पद स्वीकृत हैं लेकिन सिर्फ 98 कर्मी कार्यरत हैं. आंकड़ों के अनुसार इस विभाग में कुल 935 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 294 पदों पर पर अधिकारी-कर्मचारी सेवारत हैं. यानी कुल 661 पद खाली हैं जो कुल पदों का करीब 70 प्रतिशत है.

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अब सवाल है कि पदाधिकारियों और कर्मियों की कमी से राजस्व वसूली पर क्यों असर पड़ सकता है. इसकी वजह से अवैध खनन और परिवहन को मुकम्मल तरीके से रोक पाना. स्टाफ की कमी के कारण निलामी योग्य खनिज ब्लॉक तैयार करने में विलंब होता है. इस बीच सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी स्वीकार कर चुके हैं कि झारखंड में करीब 35 प्रतिशत पद रिक्त हैं.इसलिए वित्तीय वर्ष 2021-22 को नियुक्ति वर्ष घोषित कर इस दिशा में काम किया जा रहा है. अब देखना है कि खान एवं भूतत्व विभाग के रिक्त पदों को भरने के लिए क्या कुछ होता है.

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