झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / city

झारखंड उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कमी: समय से नहीं हो पाता मामले का निष्पादन, वकील-मुवक्किल परेशान - हाई कोर्ट में जज की कमी

झारखंड हाई कोर्ट में जज की संख्या कम है. जिसकी वजह से लंबित मामलों की संख्या बढ़ है. समय से मामलों का निष्पादन ना होने की वजह से वकील और मुवक्किल दोनों परेशान रहते हैं. सभी लोगों ने हाई कोर्ट में जल्द से जल्द न्यायधीशों की नियुक्ति की मांग की है.

Shortage of Judges in Jharkhand High Court
Shortage of Judges in Jharkhand High Court

By

Published : Aug 5, 2021, 5:01 PM IST

Updated : Aug 5, 2021, 9:26 PM IST

रांचीः अक्सर कहा जाता है कि देर से न्याय मिलना भी अन्याय के समान होता है, यह कहावत काफी पुरानी है. लेकिन अलग-अलग कारणों से पीड़ितों को न्याय मिलने में विलंब होता रहता है. बढ़ते मुकदमों के मुकाबले जजों की संख्या में कमी होने से बरसों से न्याय की आस में याचिका दायर कर बैठे पीड़ित त्वरित न्याय से वंचित रह जाते हैं. हम कह सकते हैं कि न्याय समय से मिलना चाहिए, पर वह नहीं मिल पाता है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड हाई कोर्ट को मिलेंगे जल्द नए जज, 17 जज है कार्यरत, 8 पद रिक्त

झारखंड हाई कोर्ट में न्यायाधीश की 25 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से वर्तमान में 15 न्यायाधीश ही कार्यरत हैं. लगभग आधे जज हैं जिसके कारण लगातार लंबित मामले में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे वकीलों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में जजों की नियुक्ति की तरफ अधिवक्ता आस लगाए बैठे हैं. अधिवक्ताओं का कहना है कि झारखंड हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश इन सभी चीजों पर नजर बनाए हुए हैं. इसलिए वो शीघ्र ही नए जज की नियुक्ति की कार्यवाही को आगे बढ़ा पाएंगे ताकि अधिवक्ताओं को राहत मिलेगी और बढ़ते लंबित मामले में कमी आएगी.

देखें पूरी खबर

न्याय मिलने में होती है देरी

झारखंड एडवोकेट एसोसिएशन की अध्यक्ष ऋतु कुमार ने कहा कि हाई कोर्ट में जज की नियुक्ति नहीं हो पा रही है, जिससे वकील और मुवक्किल दोनों को काफी परेशानी होती है. जज की कम संख्या होने से बेंच भी कम बनते हैं, जिसके कारण लंबित वादों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. अगर 1 केस डिस्पोजल नहीं होता है तो वकील के पास जो 5 केस और आ सकते थे वह नहीं आ पाते हैं. जिसकी वजह से वकीलों को फायदा भी नहीं हो पाता है.

जो मुवक्किल न्याय की आस में बैठा रहता है, जिसे त्वरित न्याय मिलना चाहिए, उसे न्याय नहीं मिल पाता है. जज की कमी होने के कारण हर किसी को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि साल 2005 में दायर किया गया मामला अभी तक लंबित है, उसका निष्पादन नहीं हो पा रहा है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि जजों की संख्या में बढ़ोतरी होनी चाहिए, नए जज की नियुक्ति होनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें- झारखंड हाई कोर्ट के दो न्यायाधीश बने स्थाई जज, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की नियुक्ति, शीघ्र लेंगे शपथ

अधिवक्ता राजीव कुमार का कहना है कि हाई कोर्ट में जजों की जो संख्या है वह आधे से थोड़ी अधिक है. ऐसे में लाजमी है कि निष्पादन भी उसी हिसाब से होगा जिस हिसाब से जज होंगे. उनका मानना है कि फुल स्ट्रैंथ के साथ काम होना चाहिए, पर यह हो नहीं पा रहा है. कुछ जज सेवानिवृत्त होते हैं तो उसके जगह पर समय पर न्यायाधीश की नियुक्ति नहीं हो पाती है. जो न्यायाधीश वर्तमान में हैं वह काफी तेजी से मामले का निष्पादन करने में लगे हुए हैं.

कोरोना काल में झारखंड हाई कोर्ट ने जमकर किया काम

सभी का मानना है कि जजों की संख्या में बढ़ोतरी हो, अधिक से अधिक न्यायाधीश हो ताकि मामले का निष्पादन शीघ्र किया जा सके और त्वरित न्याय मिल सके. कोरोना काल में झारखंड हाई कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 1 लाख 26 हजार 156 मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया. जिसमें से 39 हजार 451 केस का निष्पादन किया गया. जिसमें 5 हजार 680 आइए (IA) का भी निष्पादन किया गया है. इस तरह से कोरोना काल में हाई कोर्ट में कुल 86 हजार 705 मामले लंबित रह गए हैं.

Last Updated : Aug 5, 2021, 9:26 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details