रांचीः अक्सर कहा जाता है कि देर से न्याय मिलना भी अन्याय के समान होता है, यह कहावत काफी पुरानी है. लेकिन अलग-अलग कारणों से पीड़ितों को न्याय मिलने में विलंब होता रहता है. बढ़ते मुकदमों के मुकाबले जजों की संख्या में कमी होने से बरसों से न्याय की आस में याचिका दायर कर बैठे पीड़ित त्वरित न्याय से वंचित रह जाते हैं. हम कह सकते हैं कि न्याय समय से मिलना चाहिए, पर वह नहीं मिल पाता है.
इसे भी पढ़ें- झारखंड हाई कोर्ट को मिलेंगे जल्द नए जज, 17 जज है कार्यरत, 8 पद रिक्त
झारखंड हाई कोर्ट में न्यायाधीश की 25 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से वर्तमान में 15 न्यायाधीश ही कार्यरत हैं. लगभग आधे जज हैं जिसके कारण लगातार लंबित मामले में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे वकीलों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में जजों की नियुक्ति की तरफ अधिवक्ता आस लगाए बैठे हैं. अधिवक्ताओं का कहना है कि झारखंड हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश इन सभी चीजों पर नजर बनाए हुए हैं. इसलिए वो शीघ्र ही नए जज की नियुक्ति की कार्यवाही को आगे बढ़ा पाएंगे ताकि अधिवक्ताओं को राहत मिलेगी और बढ़ते लंबित मामले में कमी आएगी.
न्याय मिलने में होती है देरी
झारखंड एडवोकेट एसोसिएशन की अध्यक्ष ऋतु कुमार ने कहा कि हाई कोर्ट में जज की नियुक्ति नहीं हो पा रही है, जिससे वकील और मुवक्किल दोनों को काफी परेशानी होती है. जज की कम संख्या होने से बेंच भी कम बनते हैं, जिसके कारण लंबित वादों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. अगर 1 केस डिस्पोजल नहीं होता है तो वकील के पास जो 5 केस और आ सकते थे वह नहीं आ पाते हैं. जिसकी वजह से वकीलों को फायदा भी नहीं हो पाता है.