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RU में राष्ट्रीय तकनीकी दिवस पर सेमिनार का आयोजन, कोरोना को लेकर विशेषज्ञों ने रखी अपनी राय - रांची में कोरोना को लेकर सेमिनार का आयोजन

राजधानी के रांची विश्वविद्यालय में सोमवार को राष्ट्रीय तकनीकी दिवस पर सेमिनार का आयोजन किया गया. इस सेमिनार में कोरोना को लेकर कई विशेषज्ञों ने अपनी राय रखे.

Seminar organized on National Technical Day at Ranchi university
रांची विश्वविद्यालय

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Published : May 12, 2020, 12:58 PM IST

रांची: सोमवार को राष्ट्रीय तकनीकी दिवस पर रांची यूनिवर्सिटी के बॉटनी विभाग में राज्य में पहली बार सेमिनार का आयोजन किया गया. कई महत्वपूर्ण वक्ताओं ने कोरोना वायरस को लेकर विशेष रूप से चर्चा की गई. इस दौरान कई ज्वलंत विषयों पर प्रकाश डाला गया. इसके सफल आयेाजन में डीएनए लैब देहरादून का सहयोग मिला था.

कोविड-19 एंड अदर इन्फेक्टियस डिजीज

मोलीक्यूलर कैरेक्टराइजेशन एंड कंटेंटमेंट थ्रो मेडिसिनल प्लांट एंड आयुर्वेदिक रीमेडीज विषय को लेकर मुख्य रूप से रांची विश्वविद्यालय के वीसी रमेश कुमार पांडे समेत तमाम पदाधिकारियों को डीएनए लैब देहरादून के एचओडी डॉ. नरोत्तम शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना से लड़ाई में रियल टाइम पीसीआर अहम है. इससे कोरोना वायरस का सटीक डिटेक्शन होता है. इसके सभी स्टेप की जानकारी मिलती है. सामान्यत: मानव में डीएनए होता है.

कोविड-19 है आरएनए वायरस

वहीं, कोविड-19 आरएनए वायरस है. इसके तीन सतह स्पाइक, मींब्रेन और इनवेलप होते हैं. इनवेलप लिपिड का बना होता है. एंटीवायरस ड्रग इस लिपिड को तोड़ नहीं पाता है. इसी कारण वैक्सीन बनाने में मुश्किल हो रही है. बार-बार साबुन से हाथ धोने के लिए कहा जाता है, क्योंकि साबुन लिपिड के लेयर को घुला देता है और वायरस मर जाता है. साबुन नहीं होने की स्थिति में ही सैनेटाइजर का प्रयोग करें.

410 प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा

इस ऑनलाइन सेमीनार में 410 प्रतिभागी शामिल हुए. आरयू के साइंस डीन डॉ. ज्योति कुमार इस सेमिना के कोऑर्डिनेटर थे. इसमें प्रोवीसी डॉ. कामिनी कुमार, पांडिचेरी से प्रो. आनंद कुमार, केकेएम कॉलेज पाकुड़ के डॉ. प्रसेनजीत मुखर्जी समेत विभिन्न राज्यों के वैज्ञानिकों ने विचार रखे.

बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में अवसर बढ़े

डॉ. नरोत्तम शर्मा ने कहा कि कोरोना वायरस मानव जीवन में भयावहता की स्थिति ला दिया है. बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अवसर बढ़े हैं. छात्र इससे जुड़ें. साइंस और टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल करते हुए रोजगार भी प्राप्त होंगे. उन्होंने कहा कि कोविड सार्स का ही रूप है. कोरोना टेस्ट में सैंपल कलेक्शन करने के बाद आरएनए को डीएनए में बदला जाता है. उन्होंने कहा कि 80 प्रतिशत केस में लोगों में कोरोना के लक्षण नहीं दिख रहे हैं. ऐसे लोग बिना इलाज के ही ठीक हो जाते हैं. वायरस रिसेप्टर बदलते रहता है. इस कारण अधिक समस्या हो रही है.

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तुलसी से बढ़ेगा इम्युन

पीजी कॉलेज ऋषिकेश से प्रो. गुलशन कुमार ढींगरा ने कहा कि वैदिक काल से एंटी वायरस की बात होती आ रही है. कई औषधीय पौधे हैं जिसका उपयोग एंटी वायरस के विरुद्ध होता है. इसे आधुनिक विज्ञान से जोड़कर शोध करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद, ऋगवेद में हवन, भष्म, शंखनाद से वायरस को खत्म करने की चर्चा है. वैदिक काल में गोबर, घी और कपूर को मिलाकर उपचार की बात की गई है. इसे आधुनिक विज्ञान से जोड़ने की जरूरत है. वर्तमानम में भी गिलोय, तुलसी का उपयोग करें. यह हमारे इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है.

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