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JNU में हुए हमले के बाद RU और DSPMU में अलर्ट, बढ़ाई गई सुरक्षा - झारखंड के विश्वविद्यालयों में सुरक्षा के इंतजाम

दिल्ली के जेएनयू में हंगामा के बाद देशभर के विश्वविद्यालयों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है. जिसे देखेते हुए आरयू और डीएसपीएमयू में छात्र, शिक्षक और वीसी एकजुट होकर कैंपस को सुरक्षित रखने की कोशिश में लगे है, ताकि कोई अनहोनी न हो सके.

various universities after JNU case
छात्र संघ हुए एकजुट

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Published : Jan 7, 2020, 2:30 PM IST

रांची: दिल्ली के जेएनयू में जिस तरीके का मामला प्रकाश में आया, इससे पूरा देश स्तब्ध है, तो वहीं देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में भी एक अलग माहौल बन रहा है. इधर झारखंड में भी इसकी आंच पहुंच गई है. सोमवार की शाम इसका नजारा रांची के ह्रदय स्थली अल्बर्ट एक्का चौक पर देखने को भी मिला. जहां वामपंथी छात्र संगठन और एबीवीपी एक दूसरे को मरने-मारने को उतारू दिखे. हालांकि झारखंड के विवि कैंपस को सुरक्षित करने को लेकर यहां के छात्र, वीसी और शिक्षक भी आगे आ रहे हैं.

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झारखंड की राजधानी स्थित रांची विश्वविद्यालय और कॉलेज से अपग्रेड हुए डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी राजनीति का अखाड़ा माना जाता है. कई बड़े दिग्गज नेता झारखंड की राजनीति में आज चमकता सितारा है. जो इन्हीं विश्वविद्यालयों से पढ़कर निकले और यहीं से राजनीति की ककहरा भी सीखी हैं. हालांकि इन दोनों विश्वविद्यालयों में छात्र मुद्दों को लेकर ज्यादा फोकस किया जाता है. रांची स्थित इन यूनिवर्सिटीज में किसी भी विचारधारा का छात्र संगठन, छात्र हित के मुद्दों को सबसे बड़ा मुद्दा मानता है.

हालांकि, जेएनयू में घटी घटना के बाद इन विश्वविद्यालय के आम विद्यार्थियों कॉलेज के शिक्षक और कुलपति क्या कहते हैं उनकी राय जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम विश्वविद्यालय कैंपस पहुंचा. रांची विश्वविद्यालय के कुलपति ने भी आश्वस्त किया है कि रांची विश्वविद्यालय में छात्र हित से जुड़े मुद्दों के अलावे अन्य कोई मुद्दों पर बात नहीं होगी. इधर डीएसपीएमयू के वीसी का कहना है कि झारखंड के छात्र संघ और विद्यार्थी दोनों काफी समझदार है. किस मुद्दे को लेकर राजनीति करनी है हमारे यहां के विद्यार्थियों को इसका समझ है. विवि के शिक्षक भी मानते हैं की यहां अलग विचारधारा के छात्र संगठन होने के बावजूद सब आपसी तालमेल के साथ विश्वविद्यालय हित में कदम उठाते हैं और छात्र राजनीति करते है.

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रांची स्थित आरयू हो या डीएसपीएमयू दोनों विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों का भी यही मानना है कि जिस तरीके का घटना जेएनयू में घटी है वह अन्य विश्वविद्यालयों में नहीं घटनी चाहिए. इसके लिए विद्यार्थियों को भी सजग रहना होगा. ज्वलंत मुद्दों को लेकर सड़कों में उतरने के बजाय डिबेट करने की जरूरत है. उनके खामियों और फायदे एक दूसरे को बताने की जरूरत है न कि कॉलेज में पठन-पाठन को ही बाधित कर आंदोलन करने के लिए सिर्फ और सिर्फ विरोध किया जाए.

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