रांची: झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से एक है कोलेबिरा विधानसभा सीट. यह क्षेत्र हमेशा से मिशनरी लोगों के लिए लोकप्रिय रहा है. यहां की कुल आबादी का सबसे ज्यादा हिस्सा ईसाई धर्म का है. संयुक्त बिहार के समय से ही इस सीट पर बीजेपी को कभी जीत नसीब नहीं हुई है. वहीं, राज्य बनने के 15 साल बाद कांग्रेस ने यहां कमबैक किया है. यहां से फिलहाल कांग्रेस के विक्सल कोंगाड़ी विधायक हैं.
कांग्रेस का गढ़ रहा है कोलेबिरा
इसके पहले 1980, 1990 और 2000 में हुए चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी यहां से विधानसभा पहुंचे. थियोडोर किड़ो 1990 और 2000 में संयुक्त बिहार में हुए चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर जीते थे. इसके पहले सुशील कुमार बागे देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी के टिकट पर जीते थे. बागे एकमात्र नेता हैं, जिन्होंने छह बार कोलेबिरा विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. वह 1952 से 1980 के बीच हुए आठ विधानसभा चुनावों में छह बार निर्वाचित हुए. 1952 से 1962 तक लगातार तीन बार जीते. 1969 और 1972 के चुनावों में भी उन्होंने जीत दर्ज की. 1969 में सुशील कुमार बागे ने निर्दलीय चुनाव लड़ा, तो 1972 में वह ऑल इंडिया झारखंड पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे. अंतिम बार उन्होंने 1980 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की.
वीर सिंह मुंडा और एनोस तीन बार बने विधायक
बागे के बाद वीर सिंह मुंडा और एनोस एक्का दो ऐसे नेता हुए, जिन्होंने तीन-तीन बार कोलेबिरा विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. पहली बार झारखंड पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे मुंडा दो बार (1984 और 1985 में) निर्दलीय भी जीते. 1977 में पहली बार विधानसभा पहुंचे वीर सिंह मुंडा ने 1984 के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को बड़े अंतर से हराया था. इस सीट से एनोस एक्का 2005 से लगातार झारखंड पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत रहे थे. पिछले दिनों उन्हें पारा शिक्षक की हत्या के मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद झारखंड पार्टी ने उनकी पत्नी को यहां से चुनाव लड़ाया.