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झारखंड में धान खरीद में 60 करोड़ से अधिक का घोटाला, बिचौलियों ने किसानों से खरीद कर पैक्स को बेचा अनाज - midiator bought grain from farmers and sold grains to PACS

झारखंड में प्राथमिक कृषि सहकारी साख समिति यानि पैक्स के जरिए धान खरीद में 60 करोड़ से अधिक का घोटाला सामने आया है. राज्य में पैक्स के जरिए धान खरीद में हुई गड़बड़ी को लेकर 48 मामले दर्ज थे. सीआईडी ने इनमें से 24 कांडों को टेकओवर किया था.

Scam of over 60 crores in paddy purchase in Jharkhand
झारखंड में धान खरीद में 60 करोड़ से अधिक का घोटाला

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Published : May 15, 2020, 8:34 PM IST

रांची: सीआईडी एडीजी अनिल पाल्टा ने धान खरीद के 12 कांडों की समीक्षा की है. समीक्षा के दौरान 60 करोड़ से अधिक तक की गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. पूरे मामले में पैक्स, एफसीआई और बिचौलियों की भूमिका सामने आई है. जांच में यह बात सामने आई है कि पैक्स से जुड़े लोगों ने पूरे मामले में बड़ी गड़बड़ी की है. अधिकांश मामलों में किसानों से सीधे धान खरीदने के बाद पैक्स ने बिचौलियों से धान की खरीद की.

जांच में इस बात की पुष्टि भी हुई है कि बिचौलियों ने किसान से काफी कम रेट पर धान की खरीद की. इसके बाद पैक्स ने बिचौलियों को भुगतान कर धान की खरीद की. झारखंड हाई कोर्ट में 10 मई 2019 को धान खरीद में लिट्टीपाडा के एक केस के आरोपी बहुल मंडल की रेगुलर जमानत को लेकर सुनवाई हुई थी. इसमें हाई कोर्ट ने राज्य में धान खरीद में हुए घोटाले की पुलिस जांच को असंतोषजनक बताया था.

हाई कोर्ट ने तात्कालीन गृह सचिव से पूछा था कि क्या राज्य सरकार धान खरीद घोटाले मामले में पुलिस की जांच से संतुष्ट है. क्या इस तरह के मामले की जांच के लिए राज्य सरकार की एजेंसी के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है. राज्य में सरकारी धन से पैक्स के जरिए धान की खरीदारी हुई थी. साल 2011- 17 के बीच हुए इस घोटाले में केस आइपीसी की धारा 406 और 420 के तहत दर्ज हुआ. लेकिन स्थानीय पुलिस ने सही तरीके से अनुसंधान नहीं किया.

पुलिस ने अनुसंधान के दौरान आरंभिक साक्ष्य भी एकत्रित नहीं किए. जबकि मामले से संबंधित कुछ केस हजारीबाग, गोड्डा, देवघर, जामताड़ा, दुमका, पाकुड़ सहित अन्य जिले में दर्ज किए जा चुके थे. केस में बिना उचित जांच के आरोपी के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट भी दाखिल कर दी गई थी. हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद पुलिस मुख्यालय ने घोटाले की जांच सीआइडी से करानी प्रारंभ की थी. सीआईडी में एडीजी अनिल पाल्टा के आने के बाद केस की जांच ने रफ्तार पकड़ी. इसके बाद मामले में कई नए तथ्य सामने आए हैं.

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