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सरयू राय ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, कहा-केंद्र से राज्य की जीडीपी के 10% के बराबर सहायता पैकेज मांगे

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Published : Apr 26, 2020, 8:08 PM IST

Updated : May 23, 2020, 4:49 PM IST

सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सलाह देते हुए कहा है कि वो जनता को हो रही आर्थिक क्षति की भरपाई के लिए केंद्र सरकार से राज्य की जीडीपी के 10% के बराबर विशेष आर्थिक सहायता पैकेज की मांग करें

Saryu Rai give advise
सरयू राय ने लिखा पत्र

रांची: विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सलाह दी है कि वैश्विक महामारी कोरोना की रोकथाम के लिए भारत सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन के कारण राज्य की सरकार, जनता और आर्थिक गतिविधियों पर हुए प्रतिकूल प्रभाव के आलोक में केंद्र सरकार से राज्य की जीडीपी के 10% के समतुल्य विशेष आर्थिक सहायता पैकेज मांगे. इसको लेकर सरयू राय ने रविवार को मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है.

सरयू राय का पत्र

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उन्होंने पत्र के माध्यम से कहा है कि कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन से झारखंड राज्य और यहां की जनता को हो रहे आर्थिक क्षति की भरपाई के लिए केंद्र सरकार राज्य की जीडीपी के 10% के बराबर विशेष आर्थिक सहायता पैकेज दे. उन्होंने कहा है कि लॉकडाउन की घोषणा किए हुए 1 महीने से अधिक समय हो गया है. ऐसा लगता है कि लॉकडाउन 3 मई के बाद भी किसी ना किसी रूप में चलने वाला है.

सरकार और आम जनता के पास नकदी की किल्लत

लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में बंद हैं और आर्थिक गतिविधियां ठप हो जाने के कारण होने वाली राज्य की आमदनी रुक गई है. उन्होंने कहा है कि 20 अप्रैल के बाद से आर्थिक गतिविधियां चालू करने का निर्णय हुआ है. लेकिन अनेक व्यावहारिक कठिनाइयों के कारण यह गतिविधियां रफ्तार नहीं पकड़ पा रही हैं. फिलहाल राज्य सरकार के पास और आम जनता के पास भी नकदी की किल्लत हो गई है. सरकार के सहायता से आंशिक जनसंख्या का केवल पेट पालन हो रहा है. लॉकडाउन का राज्य और यहां की जनता की वित्तीय स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. जिसके शीघ्र समाप्त होने की उम्मीद नहीं है.

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उन्होंने कहा है कि ऐसी परिस्थिति में जरूरी है कि विभिन्न उपायों से राज्य सरकार और जनता की आर्थिक स्थिति सुधरे. सरकार के पास और बाजार और जनता के पास नगदी पहुंचे. उन्होंने कहा कि यह तीन प्रकार से हो सकता है. एक अहर्ता रखने वालों के बैंक खातों में सरकार सीधे नगदी डालें. जिससे पैराशूट लैंडिंग ऑफ मनी कहा जा सकता है, दूसरा उद्योग और व्यवसाय चलाने वालों को सहूलियत देकर इनके माध्यम से कामगारों के बीच नगदी पहुंचे और तीसरा बैंकों के माध्यम से नगदी उद्योग व्यवसाय और जनता के बीच में जाए.

Last Updated : May 23, 2020, 4:49 PM IST

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